- कहा, राज्यपाल को भेजे जाएंगे ज्ञापन, 2 मार्च से दुआवा से होगी शुरुआत
चंडीगढ़
आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब की ओर से केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड बीबीएमबी में पंजाब की सदस्यता को खत्म करने के फैसले के खिलाफ 2 मार्च को जिला स्तर पर उपायुक्तों के माध्यम से पंजाब के माननीय राज्यपाल को ज्ञापन सौंपे जाएंगे। ज्ञापन देने की शुरुआत दुआवा से की जाएगी। आप के वरिष्ट नेता और नेता प्रतिपक्ष हरपाल सिंह चीमा ने बताया कि आप ने मांग की है कि माननीय राज्यपाल इस ज्ञापनों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजकर पंजाब के हितों की पैरवी करें ताकि केंद्र सरकार द्वारा पंजाब के अधिकारों पर हो रहे हमलों को तुरंत रोका जाए।
मंगलवार को पार्टी मुख्यालय से जारी बयान में हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि बीबीएमबी की स्थापना 1966 के पंजाब पुनर्गठन अधिनियम के दौरान की गई थी, जिसमें एक अध्यक्ष और दो सदस्यों का प्रावधान था। 1967 से ये बड़े राज्य और हिस्सेदार होने के नाते पंजाब और हरियाणा से ही लिए जाते रहे हैं। इनमें पंजाब को पहले नंबर पर रखा जाता है और बड़े स्तर पर खर्चा भी पंजाब ही करता आ रहा है। लेकिन अब बीबीएमबी में पंजाब की सदस्यता को खत्म किया जा रहा है।”
चीमा ने कहा कि पंजाब की धरती पर खड़ा बीबीएमबी एक ऐसा प्रबंधन है जिसमें से पंजाब को ही निकालने की साजिशें रची जा रही हैं। उन्होंने कहा कि पहले केंद्र में काबिज कांग्रेस की सरकारों ने किया, अब भाजपा की मोदी सरकार भी उसी रास्ते पर चल रही है।” चीमा ने कहा कि कांग्रेस से भी एक कदम आगे बढ़कर भाजपा की मोदी सरकार राज्यों के अधिकारों पर सीधा हमले करने पर जुटी है,जो भारत की संघीय ढांचे पर सीधी चोट है।
हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि बीबीएमबी प्रबंधन में पंजाब के प्रभुत्व कम करने के लिए केंद्र की भाजपा और कांग्रेस की सरकारों के साथ साथ पंजाब पर दशकों से शासन करती आ रही कांग्रेस- कैप्टन और अकाली दल की सरकारें भी बराबर जिम्मेदार है। पंजाब की लूट के खिलाफ इन सरकारों ने कभी आवाज नहीं उठाई,क्योंकि उनके लिए हमेशा ही पंजाब और पंजाबियों की तुलना में अपने व्यक्तिगत हित सबसे पहले रहे हैं। जिसका खामियाजा आज पंजाब और पंजाबियों को उठाना पड़ रहा है।
चीमा ने कहा कि केंद्र सरकार को पंजाब के साथ सौतेला व्यवहार त्याग कर बीबीएमबी के नियमों में मनमाने फैसले लेने से बचना चाहिए। बीबीएमबी के प्रबंधन में पंजाब की स्थाई सदस्यता खत्म करने के फैसले को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तुरंत वापस लेना चाहिए और कांग्रेस सरकारों के पहले लिए गए पंजाब विरोधी फैसलों की समीक्षा कर पंजाब के अधिकारों को बहाल करना चाहिए।