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विधानसभा सत्र: डीएपी खाद के मुद्दे पर ‘आप’ विधायकों ने किया रोष मार्च

  • -डीएपी खाद के संकट के लिए मोदी और चन्नी सरकार जिम्मेदार- हरपाल सिंह चीमा
  • -चन्नी सरकार की नाकामी की वजह से किसानों को नहीं मिल रही खाद-अमन अरोड़ा

चंडीगढ़ 

मुख्य विपक्षी दल आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब के विधायकों ने प्रदेश में डीएपी खाद के गहराए संकट को लेकर केंद्र की मोदी और पंजाब की चन्नी सरकार के खिलाफ रोष मार्च किया। सत्र शुरू होने से पहले नेता प्रतिपक्ष हरपाल सिंह चीमा की अगुवाई में स्थानीय सेक्टर-4 स्थित एमएलए हॉस्टल में बैठक के बाद ‘आप’ विधायकों ने पैदल ही विधानसभा की ओर कूच किया।
‘आप’ विधायकों में कुलतार सिंह संधवां, विरोधी दल की उप-नेता सरबजीत कौर माणुके, अमन अरोड़ा, मीत हेयर, प्रिंसिपल बुद्ध राम, कुलवंत सिंह पंडोरी, मनजीत सिंह बिलासपुर, जै सिंह रोड़ी और अमरजीत सिंह संदोआ मुख्य रहे।
हाथों में चन्नी और मोदी सरकार के खिलाफ तख्तियां और डीएपी खाद के थैले पकडकऱ ‘आप’ विधायकों ने जहां केंद्र की मोदी सरकार पर पंजाब के किसानों के साथ सौतेली मां जैसा सलूक करने के आरोप लगाए, वहीं मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को अब तक का सबसे कमजोर मुख्यमंत्री करार दिया और आरोप लगाया कि चन्नी ने कुर्सी और अपनी विफलताओं के कारण केंद्र की मोदी सरकार के सामने आत्समर्पण कर दिया है।
मीडिया से बातचीत करते हुए हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि जब केंद्र की सरकार पंजाब और पंजाब के किसानों से बदले की भावना के साथ खुलेआम रंजिश निकाल रही है, तो चन्नी सरकार क्या कर रही है? चीमा ने कहा कि केंद्र की ज्यादतियों के सामने घुटने टेक कर पंजाब और पंजाब के किसानों के हितों की सुरक्षा नहीं की जा सकती। इसलिए पंजाब को एक मजबूत और स्थिर सरकार की जरूरत है, जो केवल आम आदमी पार्टी ही हो सकती है।
इस मौके पर कुलतार सिंह संधवा और अमन अरोड़ा ने कहा कि आज गेहूं की बुवाई का समय शिखर पर है लेकिन प्रदेश की सहकारी सभाओं और प्राइवेट डीलरों को अभी तक 40-42 प्रतिशत ही डीएपी खाद की सप्लाई प्राप्त हुई है। ‘आप’ विधायकों ने आरोप लगाया कि केंद्र की मोदी सरकार पंजाब के किसानों को परेशान करने के लिए पंजाब को डीएपी खाद की सप्लाई में जानबूझ कर रूकावटें डाल रही है, जबकि पड़ोसी प्रदेशों, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में पंजाब के मुकाबले दोगुनी-चौगुनी सप्लाई की जा रही है। लेकिन इतना धक्का होने के बावजूद चन्नी सरकार हाथ पर हाथ रखकर बैठी है, इस कारण प्रदेश के किसानों में भारी निराशा है।
इस दौरान हाईकोर्ट चौक पर चंडीगढ़ पुलिस द्वारा की गई बैरिकेडिंग और पुलिस ने ‘आप’ विधायकों को रोकने की कोशिश की लेकिन ‘आप’ विधायक हाथों में तख्तियों समेत विधानसभा कांप्लेक्स के अंदर जाने में कामयाब हो गए।

समय से पहले मंडियां क्यों बंद कर रही है चन्नी सरकार- ‘आप’ का सवाल 
‘आप’ ने पंजाब सरकार द्वारा फसल बची होने के बावजूद मंडियों में सरकारी खरीद प्रक्रिया बंद किए जाने का मुद्दा भी उठाया। प्रदेश की मंडियों में खरीद प्रक्रिया बंद किए जाने के फैसले पर हरपाल सिंह चीमा ने इसे तुगलकी फरमान करार दिया। उन्होंने कहा कि अभी भी 15-20 प्रतिशत धान मंडियों में आनी शेष है, फिर किसी आधार पर प्रदेश सरकार खरीद प्रक्रिया बंद कर रही है, जबकि केंद्र सरकार द्वारा धान की खरीद प्रक्रिया को 30 नवंबर तक मंजूरी दी गई है।

अमल नहीं, केवल घोषणा करने में माहिर है चन्नी सरकार- चीमा 
आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया है कि चन्नी सरकार की कथनी और करनी में दिन-रात का अंतर है। मंडियों की स्थिति पर सवालों का जवाब देते हुए हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि चन्नी सरकार ने केवल घोषणा करने में महारत हासिल की है लेकिन घोषणाओं पर अमल करना न इन कांग्रेसियों की नीति है और न ही नीयत में है। चीमा ने मीडिया से पूछा कि सर्व पार्टी बैठक में ‘आप’ द्वारा उठाए मुद्दे पर चरणजीत सिंह चन्नी ने भरोसा दिया था कि इस बार पूरी मीडिया कैमरों समेत विधानसभा कांप्लेक्स के अंदर तक पहुंच रखेगा, क्या ऐसा हो सका है? मीडिया आज भी बाहर ही खड़ी है। इसी तरह स्पीकर राणा केपी सिंह ने बीएसी की बैठक में भरोसा दिया था कि लंबित मॉनसून सत्र 15-20 दिनों में बुला लिया जाएगा, क्या ऐसा हो सका है? नहीं हो सका। इसी तरह सरकार सत्र की कार्रवाई के सीधे प्रसारण के मामले से पल्ला झाड़ रही है। यही हाल सरकार द्वारा चुनाव के मद्देनजर की जा रही सभी छोटी-बड़ी घोषणाओं का होना है।

 लोक मुद्दों के हल के लिए 15 दिन लगातार चले सत्र- ‘आप’
विधानसभा सत्र के दौरान ‘आप’ के विधायकों ने पंजाब और पंजाब के लोगों को दरपेश आ रहे अनेकों मुद्दों के स्थायी समाधान के लिए कम से कम 15 दिन के लगातार सत्र की मांग की है। हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि शोर-शराबे में 2-4 मिनट की बहस के साथ पंजाब के बड़े मामले कैसे हल हो सकते हैं? उन्होंने बेरोजगारी, किसानी कर्जे, हजारों आउटसोर्सिंग कर्मचारी, कर्मचारी और पेंशनर, सरकारी कॉलेजों के गेस्ट फैकेल्टी टीचरों समेत बेअदबी, बहिबल कलां, नशे और अनेकों तरह के माफिया को पंजाब के ज्वलंत मुद्दे बताया।

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