चंडीगढ़।
पंजाब के एडवोकेट जनरल के पद से एपीएस दयोल ने सोमवार को इस्तीफा दे दिया। मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के द्वारा एजी के पद पर उनकी नियुक्ति किए जाने के बाद से ही कांग्रेस प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू इस फैसले से नाराज चल रहे थे। सिद्धू ने इसके पीछे दलील दी थी कि बेअदबी मामले के खिलाफ दयोल ने ही कोर्ट में पैरवी की थी।
इसके अलावा उन्होंने पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी का केस भी लड़ा था। इन दोनों मामलों को लेकर पहले भी नवजोत सिंह सिद्धू पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार पर हमले बोलते रहे हैं। चन्नी के द्वारा एजी के पद पर दयोल की नियुक्ति किए जाने से भी सिद्धू खफा थे। यहां तक कि सिद्धू ने पंजाब कांग्रेस प्रधान पद से भी नाराज होकर इस्तीफा दे दिया था।
दयोल की एजी पद पर नियुक्ति को लेकर राज्य में सियासी बवाल खड़ा हो गया था। विपक्षी दलों ने दयोल की नियुक्ति का जोरदार विरोध किया था। दरअसल, एडवोकेट दयोल पंजाब सरकार के खिलाफ कई महत्वपूर्ण केसों की पैरवी कर रहे हैं, जिनमें बेअदबी मामले में पूर्व डीजीपी सुमेध सैनी व परमराज उमरानंगल का केस भी शामिल है। आय से अधिक संपत्ति के मामले में भी दयोल सुमेध सैनी के वकील हैं और उन्होंने ही हाईकोर्ट में पंजाब सरकार की आपत्तियों का खारिज कराते हुए सैनी के खिलाफ जारी कार्रवाई पर 2022 के चुनाव तक रोक लगवाई है।
उल्लेखनीय है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह की ओर से मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिए जाने के तुरंत बाद एडवोकेट जनरल अतुल नंदा ने भी अपने पद से 19 सितंबर को इस्तीफा दे दिया था। तब से खाली चल रहे पद पर कई नामों पर सरकार ने विचार किया था। यह भी उल्लेखनीय है कि 2017 में अमर प्रीत दयोल को एडवोकेट जनरल लगाने की चर्चा हुई थी लेकिन बाद में कैप्टन के करीबी अतुल नंदा को यह पद दे दिया गया।