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सरपंचों के बाद पंचायतों की शक्तियां छीनी : कुमारी सैलजा

  • – पंचायतों का काम सिर्फ मरम्मत व देखरेख तक सीमित करना सरासर गलत
  • – विधायकों व सरकार का ग्राम पंचायत के कार्यों में हस्तक्षेप फैसला अनुचित
चंडीगढ़
अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी की महासचिव एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा ने कहा कि कांग्रेस की सरकारों ने देश में पंचायती राज संस्थाओं को सशक्त किया और शक्तियां दी, लेकिन हरियाणा में भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार धीरे-धीरे इन शक्तियों को छीनकर पंचायती राज संस्थाओं को पंगु बनाने पर तुली है। सरपंचों की पावर छीनने के बाद ग्राम पंचायतों व पंचायत समितियों के कार्यों को सीमित कर दिया गया है। यही नहीं, पंचायती राज एक्ट, 1995 में संशोधन कर ग्राम पंचायतों के कार्यों में विधायकों व सरकार का हस्तक्षेप भी बढ़ा दिया है।
मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि वर्ष 1958 में राष्ट्रीय विकास परिषद ने बलवंत राय मेहता समिति की सिफारिशें स्वीकार की व 2 अक्तूबर 1959 को राजस्थान के नागौर जिले में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने देश की पहली त्रि-स्तरीय पंचायत का उद्घाटन किया। वर्ष 1993 में कांग्रेस के ही तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिंहराव की केंद्र सरकार ने 73वें व 74वें संविधान संशोधन के माध्यम से देश में त्रि-स्तरीय पंचायती राज व्यवस्था को संवैधानिक दर्जा दिया। त्रि-स्तरीय पंचायती राज व्यवस्था में ग्राम पंचायत (ग्राम स्तर पर), पंचायत समिति (मध्यवर्ती स्तर पर) और ज़िला परिषद (ज़िला स्तर पर) शामिल हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भाजपा नहीं चाहती कि पंचायती राज संस्थाएं मजबूत रहें, इसलिए इनके खात्मे की साजिश शुरू की जा चुकी हैं। शुरुआत में हरियाणा में सरपंचों की वित्तीय शक्तियों पर भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार ने हमला किया। अब तो ग्राम पंचायतों को ही निगलने की कोशिश लगातार शुरू हो चुकी हैं। इसके साथ ही पंचायत समितियों की काम कराने की शक्तियां सीमित कर उनके खात्मे का प्रयास भी शुरू हो चुका है, जबकि अगला नंबर जिला परिषदों का आएगा।
कुमारी सैलजा ने कहा कि पंचायतों के कार्यों में विधायकों व सरकार का हस्तक्षेप अस्वीकार्य है। जिस तरीके से ग्राम पंचायतों के लिए देखरेख संबंधी सिर्फ 19 कार्य ही तय कर दिए हैं और पंचायत समिति अब महज 7 कार्य ही करवा सकेंगी तो इससे साफ है कि गठबंधन सरकार की नीयत ठीक नहीं है। पंचायतों में विधायक का दखल बढ़ने से गांवों में गुटबाजी बढ़ेगी। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार एक-एक करके पंचायतों के अधिकार छीनने पर आमादा है, जबकि पंचायती राज संस्थाओं में भी जनता के चुने हुए नुमाइंदे ही हैं। ऐसे में प्रदेश के लोग सरकार की इस चाल को भली भांति समझ चुके हैं और सिर्फ अगले चुनाव के इंतजार में हैं। जब अपने मत का प्रयोग कर इस जनविरोधी सरकार को चलता करेंगे।

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