- पहले दिन संगीत रस से मंत्र मुग्ध हुए श्रोतागण
- 13 नवम्बर को सायं 6:00 बजे शाश्वति मंडल तथा शशांक मक्तेदार की गायन प्रस्तुति
चंडीगढ़
इंडियन नेशनल थियेटर द्वारा दुर्गा दास फाउंडेशन के सहयोग से तीन दिवसीय 43वां वार्षिक चंडीगढ़ संगीत सम्मेलन आज से स्ट्रोबरी फील्डस हाई स्कूल, सैक्टर 26 के ऑडिटोरियम में शुरू हो गया है। तीन दिवसीय इस 43वां संगीत सम्मेलन के पहले दिन एक ओर जहां प्रतिभाशाली गायक धंनजय हेगड़े ने अपना गायन प्रस्तुत कर श्रोताओं से खूब प्रशंसा बटौरी, वहीं दूसरी ओर पं हरविंदर कुमार शर्मा अपनी प्रस्तुति सितार वादन के माध्यम से देकर उपस्थित दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
सम्मेलन की शुरुआत पारंपरिक प्रथा अनुसार सरस्वती वंदना के साथ हुई, जिसे प्रतिभाशाली संगीत छात्र मधुचन्दा, दिव्यश्री व सुलक्षणा ने खूबसूरती से प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम की शुरूआत धनंजये हेगड़े ने अपनी प्रस्तुति की शुरूआत राग यमन से बखूबी की जिसमें उन्होंने विलम्बित एक ताल में निबद्ध रचना कहें सखि कैसे की करिये जिसके पश्चात उन्होंने द्रुत एक ताल में जाने नही देत मोहे कान्हा की अत्यंत सुंदर रचना सुनाकर श्रोताओं का मन मोह लिया। उन्होंने राग जोग में मध्यलय की सुंदर बंदिश जो कि रूपक ताल में निबद्ध थी हम जोग लियो प्रस्तुत की। इसके उपरांत उन्होंने अपने मधुर गायन का समापन एक तराना गाकर संपंन किया। इस दौरान तबलावादक जयदेव ने उनके साथ संगत की।
धनंजये हेगड़े एक युवा और प्रतिभाशाली हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायक जिनका जन्म एक संगीत परिवार में हुआ । धनंजय के संगीत का एक दिलचस्प पहलू किराना और ग्वालियर घराने का मिश्रण है, जिसे उन्होंने अपने गुरु विनायक तोरवी से ग्रहण किया है। धनंजय एक ईमानदार संगीतकार बनने और बीते जमाने के उस्तादों के नक्शेकदम पर चलने की इच्छा रखते हैं।
वहीं पं हरविंदर कुमार शर्मा ने अपनी प्रस्तुति देते हुए राग खमाज के साथ आरम्भ किया, जो एक प्राचीन तंत्र रागों में से माना जाता है। यह राग में उन्होंने विस्तृत आलाप के साथ अत्यंत सुंदर शुरूआत की जिसमें राग के विभिन्न रंगों और सुंदरता का प्रदर्शन किया। आलाप के दौरान, सितार पर गायकी अंग की परंपरा को कायम रखते हुए, कई रचनाओं को खूबसूरती से उन्होंने गाया भी। इसके बाद उन्होंने जोड़ अलाप और जोड़ झाला में प्रस्तुति दी।
वहीं पं हरविंदर कुमार शर्मा ने अपनी प्रस्तुति देते हुए राग खमाज के साथ आरम्भ किया, जो एक प्राचीन तंत्र रागों में से माना जाता है। यह राग में उन्होंने विस्तृत आलाप के साथ अत्यंत सुंदर शुरूआत की जिसमें राग के विभिन्न रंगों और सुंदरता का प्रदर्शन किया। आलाप के दौरान, सितार पर गायकी अंग की परंपरा को कायम रखते हुए, कई रचनाओं को खूबसूरती से उन्होंने गाया भी। इसके बाद उन्होंने जोड़ अलाप और जोड़ झाला में प्रस्तुति दी।
उस्ताद इनायत खान द्वारा रचित पारंपरिक धीमी गति में एक गत पेश की। जिसके पश्चात् उस्ताद इमदाद खान, इनायत खान, मोहम्मद खान और उस्ताद विलायत खान द्वारा रचित रचनाओं से की गई कुछ रचनाओं को अत्यंत सुंदर लयकरियों के साथ प्रस्तुत किया गया जिसमें उनकी तानकारी और लयकारी पर मजबूत पकड़ झलकती थी।
अंत में उन्होंने मीरा भजन – पायो जी मैंने राम रत्तन धन पायो के साथ अपनी प्रस्तुति का समापन किया। इस दौरान तबलावादक जयदेव ने उनके साथ संगत की। इस संगीत सम्मेलन में कोविड प्रोटोकॉल का पूरा ध्यान रखा गया। सम्मेलन में श्रोताओं व दर्शकों के लिए मास्क पहनना अनिवार्य रखा गया था।