चंडीगढ़. जैन समाज के अग्रणी कार्यकर्ता जैन महासंघ ट्राईसिटी के संयोजक व भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता कैलाश चन्द जैन ने केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित
पशुधन आयात औऱ निर्यात विधेयक 2023(ड्राफ्ट) का विरोध करते हुए इस ड्राफ्ट विधेयक पर मत्स्य व पशु पालन तथा डेयरी विभाग को आपत्ति दर्ज करवा इसे वापिस लेने की मांग की है।
इस सम्बंध में कैलाश चन्द जैन का कहना है कि प्रस्तावित बिल आश्चर्यजनक रूप से मवेशियों और जानवरों को कमोडिटी के रूप में परिभाषित करता है और उनको लाइव स्टॉक एक्सपोर्ट करने को कानूनी जामा पहनाना चाहता है। जिंदा पशु-पक्षियों एवं मवेशियों को, हेरा-फेरी कर, उनके एक्सपोर्ट को इस तरह से बढ़ावा देना संविधान के प्रावधानों एवं भावना के खिलाफ है। तथा सनातन संस्कृति के भी खिलाफ है।
आज जिंदा पशुओं का एक्सपोर्ट को बढ़ावा दिया जा रहा है कल जिंदा मनुष्यों का भी एक्सपोर्ट हो सकता है। जिंदा पशु पक्षियों की सुरक्षा हमारा परम् कर्तव्य है, सर्वोच्च न्यायालय ने भी जिंदा पशु पक्षियों के सरंक्षण की बात कही है। केवल भारत मे ही नही ब्लकि पूरे विश्व मे जिंदा पशुओं के एक्सपोर्ट की प्रथा की आलोचना की जा रही है तथा जिंदा पशुओं के एक्सपोर्ट को बंद करने की मांग की जा रही है।
कैलाश जैन का कहना है कि इस विधेयक के पारित होने से राष्ट्रीय पशु संपत्ति के हितों पर बहुत प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
इसके अलावा उपरोक्त प्रस्तावित विधेयक में लाया गया निर्यात का मसौदा पशुपालन मंत्रालय के कार्य क्षेत्र में भी नहीं है इसलिए भी यह प्रस्ताव कानूनी तौर पर भी वैध नही है इतना ही नही किसी भी विधेयक को लाने के लिए उस विधेयक से प्रभावित होने वाली आम जनता की जागरूकता के लिए तथा आपत्ति दर्ज करवाने के लिए हितधारकों को कम से कम 60 दिन का समय इस दिया जाना चाहिए था जो नहीं दिया गया।उन्होंने मांग की है कि अतः इस प्रस्तावित विधेयक को तुरंत रद्द किया जाना चाहिए