Breaking News

शैलेश का सृजन-मूल्यांकन’ विषयक पर व्याख्यानमाला संपन्न

चंडीगढ

दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, मद्रास तथा देश के अन्य भागों के कुछ जिज्ञासु विद्वानों के परामर्श एवं पहल पर ‘प्रोफेसर (डॉ.) दिनेश चमोला ‘शैलेश’ का सृजन-मूल्यांकन’ विषयक पाक्षिक व्याख्यानमाला का ऑनलाइन उद्घाटन समारोह संपन्न हुआ। प्रो. चमोला ने उपस्थित होकर इस श्रृंखला की सफलता हेतु आयोजक टीम को शुभकामनाएं एवं आशीर्वाद दिया। समारोह की अध्यक्षता देश के मूर्धन्य हिंदी विद्वान, भाषा वैज्ञानिक, वैज्ञानिक एवं तकनीक शब्दावली आयोग, भारत सरकार के पूर्व अध्यक्ष, पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय(छत्तीसगढ़) के पूर्व कुलपति तथा वर्तमान में छत्रपति शिवाजी महाराज विश्वविद्यालय, मुंबई (महाराष्ट्र) के कुलपति प्रोफेसर केशरी लाल वर्मा ने की ।

 

विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रोफेसर आर शशिधरन, प्रमुख हिंदी साहित्यकार एवं पूर्व कुलपति, कोचीन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कोचीन रहे । इस व्याख्यान श्रृंखला में प्रोफेसर चमोला के विशद व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर पीएचडी की उपाधि प्राप्त कर चुके कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र (हरियाणा) के डॉ. सतीश कुमार भोला; कर्नाटक विश्वविद्यालय, धरवाड़ (कर्नाटक) की डॉ. सुमंगला अंगडि तथा एचडी तथा जम्मू एंड कश्मीर विश्वविद्यालय, कश्मीर की डॉ. सलमा असलम ने जहां प्रसिद्ध साहित्यकार, ‘प्रोफेसर (डॉ.) दिनेश चमोला ‘शैलेश’ के साहित्य के विविध पक्षों को पर अपनी बात रखते हुए उनके साहित्य के राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय महत्त्व व उपादेयता पर प्रकाश डाला वहीं शोध कार्य के दौरान उनके बहुमुखी व्यक्तित्व एवं कृतित्व का स्प्रमाण मूल्यांकन किया। इस कार्यक्रम का संयोजन प्रोफेसर मंजुनाथ अम्बिग ने किया ।

डॉ. बी संतोष कुमारी ने उनके वृहद व्यक्तित्व एवं कृतित्व का वाचन कर स्वयं एवं सभा को गौरवान्वित महसूस करने की बात कही। समारोह की अध्यक्षता करते हुए कुलपति, प्रोफेसर केशरी लाल वर्मा ने कहा कि वह न केवल अनुवाद, राजभाषा, प्रयोजनमूलक हिंदी एवं शब्दकोश निर्माण के अधिकारी विद्वान हैं, अपितु साहित्य की विभिन्न विधाओं में अपने उर्वर लेखन से उन्होंने अपनी दीर्घ साधना का राष्ट्रव्यापी परिचय दिया है। विशिष्ट अतिथि के रूप में कोचीन प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. शशिधरन ने प्रोफेसर चमोला के विभिन्न रचनात्मक रूपों व अवदानों का उल्लेख कर कविता के क्षेत्र में किए गए उनके महनीय अवदान की न केवल व्यावहारिक चर्चा की अपितु बाबा नागार्जुन एवं सर्वेश्वर दयाल सक्सेना प्रभृत्ति रचनाकारों की श्रृंखला का रचनाकार बताते हए उनकी अपूर्व हिंदी सेवा की मुक्त कंठ से प्रशंसा की ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *