चंडीगढ़
चंडीगढ़ प्रेस क्लब मे किसान हित संघर्ष कमेटी- पंजाब के नेताओं ने किसानो की तरफ से पंजाब के मुख्यमंत्री सरदार भगवंत सिंह मान को एक अपील जारी करते हुए कहा कि वह उनके एक डेलिगेशन से मिले ताकि उनको पेश आ रही समस्याओं से अवगत करवा सकें। अपनी समस्या के बाबत बात करते हुए सरबजीत सिंह मखन ने बताया कि 1948 में जब हिंदुस्तान- पाकिस्तान का बंटवारा हुआ था, उस वक्त गाँव की शामलात जमीन दो हिस्सों में बांट दी गई थी। “सांझी व व्यक्तिगत” जिसमें सांझी जमीन में पूरे गांव के जमीदारों का हिस्सा माना जाता था। जिस जमीन का इस्तेमाल समाजिक उपयोग के कार्यों लिए किया जाता है। उसकी कोई बात नहीँ, लेकिन इसके अलावा इसके साथ ही चकबंदी एक्ट मे भी जमीन एक्ट के लिहाज से ज्यादा काट ली गयी और अब पंजाब सरकार ने फरमान जारी किया है कि सारी जमीन पंचायतों को दे दी जाए। लेकिन जमींदारों का कहना है कि उनके साथ गैर कानूनी तरीके से जमीन हथियाने का षड्यंत्र किया जा रहा है। माननीय सुप्रीम कोर्ट ने भी उनके हक में फैसले दिए हैं। इसलिए उनकी बात को पहले तरीके से पंजाब सरकार सुन ले और फिर उसके बाद ही कोई फैसला लें। अगर पंजाब सरकार ने उनकी न सुनी तो उन्हें मजबूरन सड़को पे उतरना पड़ेगा।
हालांकि इस जमीन पर लंबे समय से चले मुकदमे की अधीनगी द्वारा हमें हमारी मलकियत, कब्जे और हमारी जायदाद के आनंद से इनकार करने हमारे कानूनी अधिकार की उलंघना है।
उन्होंने कहा कि सरकार पंचायत के नाम पर उन जमीनों को माफिया के नियंत्रण में लाना चाहती है। आम आदमी पार्टी पुरानी पार्टियों से कम नहीं है। पंजाब के 34 संगठनों ने जमीन बचाने के लिए दिल्ली में एक साल से अधिक समय तक संघर्ष किया, तभी किसानों की जमीन को बचाया जा सका। अगर पंजाब सरकार इस तरह की कोई कार्रवाई करती है तो सभी किसान संघों को अपने अगले फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा, जो सरकार को महंगा पड़ सकता है।
पत्रकार वार्ता में वरिष्ठ किसान नेता तरलोचन सिंह लाली (फतेहगढ़ साहिब), राजिंदर सिंह राजा (हिम्मतगढ़- ढकोला), सरबजीत सिंह मक्खन (फतेहगढ़ साहिब), परम बैधवान (मोहाली), सुखविंदर सिंह सुक्खी (जीरकपुर), जत्थेदार बलजीत सिंह बाठ (चपडचिड़ि), किरपाल सिंह, जसबीर सिंह धालीवाल (न्यू चंडीगढ़), नवजोत सिंह (एक्स चेयरमैन चपडचिड़ि खुर्द), गुरजोत सिंह (चंडीगढ़) और लखवीर सिंह (न्यू चंडीगढ़) सहित अन्य कई किसान नेता भी उपस्थित थे।