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युगप्रवर्तक- टैगोर और नज़रूल नामक किताब का हुआ विमोचन

चंडीगढ़
प्रसिद्ध और लेखिका डॉ संगीता लाहा चौधरी द्वारा लिखित किताब युगप्रवर्तक- टैगोर और नज़रूल का विमोचन सेक्टर 17 स्थित टीएस सेंट्रल स्टेट लाइब्रेरी में मुख्य अतिथि के तौर पर पहुंचे पंजाब स्टेट कमीशन फॉर मिनीयोरिटिस, पंजाब सरकार के सीनियर वाइस चेयरमेन डॉ मोहम्मद रफी द्वारा की गई।
कवि व साहित्यकार प्रेम विज, खादी सेवा संघ, पंजाब के चेयरमैन आचार्य कुल चंडीगढ़ सक्सेसर ऑफ फ्रीडम फाइटर के.के शारदा, चंडीगढ़ संगीत नाटक  एकेडमी के वाइस चेयरमेन बलकार सिंह विशेष अतिथि के तौर पर उपस्थित थे।  यह पुस्तक विमोचन का यह कार्यक्रम स्वर सप्तक सोसायटी, चंडीगढ़ व कोलकता द्वारा आयोजित करवाया गया था।

इस अवसर पर डॉ संगीता लाहा चौधरी ने बताया कि उनके द्वारा लिखित पुस्तक युगप्रवर्तक- टैगोर और नज़रूल अंग्रेजी भाषा की अनुवादक है जिसे अशोक अग्रवाल नूर ने हिन्दी में अनुवाद किया है। इस पुस्तक के माध्यम से रविंद्रनाथ टैगोर को काज़ी नज़रूल इस्लाम की भांति एक ही युग के बेहतरीन कवि, विचारक की संज्ञा दी गई है दोनों का जन्म मई माह में हुआ था लेकिन टैगोर उनसे कई वर्ष उम्र में बड़े थे। इस पुस्तक का विमोचन भी इसलिए मई माह में किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि दोनों ही प्रख्यात छवियों की भावनाएं व सोच भी एक समान थी जैसे उनकी कविताएं, नृत्य नाटिकाएं, नाटक, कहानियां, संगीत, राजनीतिक विचार। दोनों का ही समाज में बेहतरीन योगदान रहा है। या यूँ कहें की दोनों ही युगप्रर्वतक थे। उन्होंने बताया कि काज़ी नज़रूल इस्लाम नार्थ इंडियां में उभरना तथा लोगों से अवगत करवाना कि वे टैगोर की भांति ही युगप्रर्वतक थे, उनका एक प्रयास है। इस पुस्तक से रिसर्च स्कॉलर्स को काफी मदद मिलेगी। उन्होंने बताया कि किताब एमाज़ॉन व फ्लिपकार्ट पर उपलब्ध है।

इस अवसर पर पुस्तक के अनुवादक अशोक अग्रवाल नूर ने भी पुस्तक के बारें में अपने विचारों को उपस्थित दर्शकों के समक्ष रखा और इस ज्ञानवर्धक पुस्तक की विशेषताओं पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम के दौरान डॉ संगीता ने रविंद्रनाथ टैगोर तथा काज़ी नज़रूल इस्लाम की कुछ रचनाएं भी दर्शकों के समक्ष प्रस्तुत की जिसकी सभी सराहना की। इनके अलावा डॉ संगीता के छात्र व छात्राओं में चंडीगढ़ से सुनिता कौशल, सुमन चढ्ढा, रूमा सोनी, ममता गोयल, दिल्ली से अंजलि सूरी, हिमाचल प्रदेश से ऋषिथ भारद्वाज ने भी रविंद्रनाथ टैगोर तथा काज़ी नज़रूल इस्लाम कुछ  रचनाओं गाकर बखूबी प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का मंच संचालन अंजलि सूरी द्वारा किया गया।
डॉ संगीता इस पुस्तक से पूर्व 5 किताबें लिख चुकी है यह पुस्तक हैं- काज़ी नज़रूल इस्लाम द्वारा रचित गीतों का अवलोकन, नज़रूल गीती, बंगाल का लोक संगीत (एक परिचय), काज़ी नज़रूल इस्लाम के नवराग, रविन्द्रनाथ टैगोर एंड काज़ी नज़रूल इस्लाम इन सेम ऐरा(इंग्लिश)। डॉ. संगीता चौधरी एम.ए. पीएचडी संगीत पर 4 पुस्तकों के लेखक के अलावा एक बहुमुखी कलाकार भी हैं। जिन्हें पूरे देश में पाठकों ने खूब सराहा। वह बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना से वल्र्ड बांग्ला लिटरेचर फेस्टिवल, बांग्लादेश द्वारा सैयदा इसाबेला पुरस्कार-2013 और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से इंटरनेशनल रिसर्च सेंटर(इंडिया विंग) कोलकाता 2014 पुरस्कार, चुरुलिया से नजरूल पुरस्कार व सम्मान प्राप्तकर्ता हैं। भारत के राज्यों और देशों से उन्हें कई बार सम्मानित किया जा चुका है। वे स्वर सप्तक सोसायटी की प्रेसिडेंट भी है जिसकी स्थापना 1987 में उनके पिता स्वर्गीय श्री निर्मलेंदु चौधरी ने की थी। जो कि शास्त्रीय संगीत में उस्ताद थे। वर्तमान में डॉ संगीता के पास भारत और देशों के विभिन्न राज्यों के कई छात्र हैं। वे समय समय पर विभिन्न विषयों पर सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित करती रहीं हैं।
इस अवसर पर साहित्यकारों और कलाकारों को दोशाला व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया, उनमें डॉ सरिता मेहता, नीरू मित्तल नीर, डॉ विनोद शर्मा, प्रेम विज, डॉ देवराज त्यागी, डॉ अनीश गर्ग, डीजी बेदी जुनेजा, सोहन रावत, सुमेश, अमर ज्योति शर्मा, संगीता शर्मा कुंद्रा, विमला गुगलानी, आईडी सिंह, प्रज्ञा शारदा, श्रीकांत आचार्य आदि शामिल हैं.

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