पंचकूला
पंचकूला स्थित संत कबीर सभा लंबे अरसे से विवादों से घिरी रही है, जिस कारण कबीर भवन निर्माण अधर में लटका हुआ है । इसका मुख्य कारण फर्म एंड सोसायटी एक्ट 2012 के अनुसार सदस्यता ना होना बताया जा रहा है। अब जब फर्म एंड सोसायटी एक्ट 2012 के अनुसार सदस्यता बन चुकी है तब एक एचसीएस आला अधिकारी एवं राजनेता पर चुनावी प्रक्रिया में बाधा डालने के आरोप लग रहे हैं । जिस कारण ट्राइसिटी का धानक समाज अंधकार की की तरफ जा रहा हैं ।
प्राप्त जानकारी के अनुसार बताया जा रहा है कि, सभा को सुचारू रूप से चलाने के लिए एक एडहॉक कमेटी बनाई गई थी । जिसका कार्य फर्म एंड सोसायटी एक्ट 2012 के अनुसार सदस्य बनाना था एवं एडहॉक कमेटी द्वारा एक्ट के अनुसार 100 मेंबर बनाए भी गए थे ताकि सभा का एवं संत कबीर भवन निर्माण कार्य सुचारू रूप से चलाया जा सके । चुनाव प्रक्रिया 3 अक्टूबर 2021 को संपन्न हुई थी , इस चुनाव के दौरान प्रधान पद के उम्मीदवार गोपाल सिंह फौजी और मास्टर प्रवीण 48 , 48 वोट लेकर बराबरी पर रहे और हेमराज खटक को मात्र 2 वोट मिले। प्रधान पद के दोनों उम्मीदवारों को बराबर वोट मिलने के कारण प्रधान पद का निर्णय नहीं हो पाया ।
सभा के नवनिर्वाचित सचिव टेकराम दुग्गल ने बताया कि संत कबीर सभा पंचकूला के प्रधान पद का चुनाव दोबारा 22 मई 2022 को होने निश्चित हुए । जिसमें दोबारा तीनों प्रधानों गोपाल सिंह फौजी, हेमराज खटक और मास्टर प्रवीण मास्टर ने स्वैच्छिक तौर से नामांकन भरा । यही नहीं इच्छा अनुसार चुनाव चिन्ह भी प्राप्त किए गए । लेकिन मास्टर प्रवीण द्वारा मात्र एक दिन पहले अपनी याचिका के संदर्भ में रोक लगवा दी गई ।
उन्होंने बताया कि यदि मास्टर परवीन को अपनी याचिका पर ही कार्रवाई करवानी थी तो चुनावी प्रक्रिया के लिए सहमति क्यों जताई और नामांकन पत्र क्यों भरा ? चुनाव चिन्ह क्यों लिया गया ? मास्टर परवीन की इस कार्यशैली से लगता है कि ऐसे व्यक्ति समाज के यह घातक सिद्ध हो सकते हैं । जो समाज को अंधकार में धकेलने का कार्य कर रहे हैं ।
सभा के सचिव ने जानकारी देते हुए बताया कि जिला फार्म एंड सोसायटी द्वारा चुनावी प्रक्रिया में जो रोक लगाई गई उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर थी । लेकिन हरियाणा सरकार के एक एचसीएस अधिकारी एवं राजनेता के दबाव में यह रोक लगाई गई । जोकि धानक समाज के लिए बहुत ही घातक सिद्ध हो सकता है ।
इस बारे में प्रधान पद के उम्मीदवार हेमराज खटक ने चुनावी प्रक्रिया में बाधा डालना अप्रिय बताया गया अगर ऐसे ही चलता रहा तो सभा के सारे विकास कार्य अधर में लटक जाएंगे और कबीर भवन निर्माण ज्यों का त्यों धरा रह जाएगा जिसका मुख्य कारण सिर्फ और सिर्फ मास्टर प्रवीण, उच्च श्रेणी के एचसीएस अधिकारी और राजनेता रहेंगे ।