चंडीगढ़ की महिला वास्तुकार के स्टार्ट-अप का उद्देश्य है पारंपरिक भारतीय कला रूपों को पुनर्जीवित करना

By khabreinonline Sep 4, 2021
  • शहर की इंटीरियर डिजाइनर ने दैनिक उपयोग के उत्पादों में पारंपरिक कलाओं को शामिल किया, कोविड मंदी के बावजूद कारीगरों के लिए तैयार किया नया बाजार

  • प्रवेश फरंड चंडीगढ़

लीग से हटकर सोचने की प्रवृत्ति शहर की एक 45-वर्षीय महिला आर्किटेक्ट व इंटीरियर डिजाइनर मीनू पराशर के लिए वरदान साबित हुई है, जो अब जॉब क्रिएटर बनने और आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की ख्वाहिश रखती हैं।

उल्लेखनीय है कि मीनू के पास 20 से अधिक वर्षों का समृद्ध अनुभव है और उन्होंने एम्मार एमजीएफ, जेएलपीएल और सुषमा ग्रुप जैसे रियल एस्टेट कॉर्पोरेट्स के साथ एक वास्तुकार और डिजाइनर के रूप में काम किया है। वह यहां गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक फॉर वीमेन, सेक्टर 10 में लेक्चरर भी रही हैं।

अपने विचार साझा करते हुए, मीनू ने कहा कि वह हमेशा घर की सजावट की नयी वस्तुओं और कलाकृतियों की तलाश में रहती थीं। तभी उन्होंने महसूस किया कि बाजार में नया जैसा कुछ भी नहीं है। एक ही तरह के उत्पाद हर जगह मिलते हैं और उनमें नवीनता का अभाव होता है। ‘इससे मैं कुछ अलग करने के लिए प्रेरित हुई, ‘ उन्होंने कहा।

अपने उत्पादों के बारे में बात करते हुए मीनू ने कहा कि अपने स्टार्टअप ‘शिल्पकोश ‘ के तहत उन्होंने देश के विभिन्न हिस्सों के कला रूपों, जैसे बिहार के मिथिला क्षेत्र से मधुबनी, राजस्थान से फड़, मध्य प्रदेश से गोंड और महाराष्ट्र के वारली आदि से प्रेरित उत्पादों का निर्माण किया है। ‘मैंने यथासंभव अधिक से अधिक पारंपरिक कलाओं को कवर करने का प्रयास किया है। लोगों ने जिन चीजों को पेंटिंग और भित्ति चित्रों में देखा होगा, मैंने इन कला रूपों को दैनिक उपयोग के उत्पादों जैसे आर्मरेस्ट टेबल, हॉट पॉट कोस्टर, लेज़ी सुसेन, मोमबत्ती स्टैंड और हुक में शामिल किया है, ‘ उन्होंने कहा।

आत्मविश्वास से भरपूर मीनू ने कहा, ‘भविष्य की मेरी योजना यह है कि अपने उत्पादों के माध्यम से स्थानीय कारीगरों को इस काम में शामिल करूं और उन्हें लोगों की बदलते टेस्ट के बारे में शिक्षित करूं। जबकि भारतीय हस्तशिल्प की पूरी दुनिया में धूम है, भारत में इसे खुद अपने देश में वो तवज्जो नहीं मिलती। मेरा मिशन स्थानीय कारीगरों को अपने हुनर और बाजार में उत्कृष्टता के लिए रचनात्मक और नये विचार प्रदान करना है। नये विचारों से उन्हें कोविड के बावजूद आमदनी बढ़ाने में मदद मिल सकती है। ‘

उनके अनुसार, भारतीय हस्तशिल्प, हालांकि बहुत ही अद्वितीय और जीवंत है, इसकी एक विशिष्ट शैली है जिसे अनादि काल से दोहराया जाता रहा है। ‘कलाकारों ने अपने सदियों पुराने पैटर्न, डिजाइन और पेचीदगियों को बनाये रखा है लेकिन उनमें नवीनता का अभाव है। समय के साथ उत्पादों की मांग में बहुत बदलाव आया है, लेकिन कारीगरों ने चीजों में उस हिसाब से बदलाव नहीं किया है। मुझे लगता है कि इन भारतीय कला रूपों को उनका उचित स्थान दिया जाना चाहिए, ‘ उन्होंने कहा।

‘मेरा संकल्प है कि अधिक से अधिक कारीगरों के लिए रोजगार पैदा कर सकूं। ऐसे कारीगर जिनकी कला लुप्त होती जा रही है या जिसकी कोई पहचान ही नहीं है। उदाहरण के लिए, मेहंदी लगाने वाला व्यक्ति अनजाने में मंडला कला से प्रेरणा ले रहा है। हम उनके कौशल को पॉलिश कर सकते हैं, जिसका उपयोग आगे रचनात्मक तरीके से किया जा सकता है। इस प्रकार, उन्हें आय का एक बेहतर स्रोत प्रदान किया जा सकता है। उनके हाथ के काम और मेरे आइडियाज से, बहुत सारी उपयोगी और खूबसूरत चीजें तैयार की जा सकती हैं, ‘ मीनू ने कहा।

मीनू ने एक प्रदर्शनी में अपने नयी तरह के उत्पादों को प्रदर्शित किया, ताकि इस बारे में जागरूकता पैदा की जा सके कि घरेलू सजावट के उत्पादों में पारंपरिक कला रूपों का उपयोग कैसे किया जा सकता है, जिससे पूरे वातावरण में जान डाली जा सके।

उन्होंने कहा कि वह आधुनिकता और उपयोगिता को मिलाकर पारंपरिक कलाकृतियों को पुनर्जीवित करना चाहती हैं, जिससे भारतीय कला रूपों को लोगों के घरों तक पहुंचाया जा सके। प्रदर्शनियों के माध्यम से वह अपने उद्यम के बारे में जागरूकता पैदा करना चाहती हैं। साथ ही जरूरतमंद कारीगरों को रोजगार के अवसर प्रदान कर उनकी आमदनी बढ़ाने में मदद करना चाहती हैं, ताकि स्थानीय संस्कृति को भी बढ़ावा मिल सके।

मीनू के उत्पादों में एक समकालीन लुक और फील है। ये एक नये आयाम के प्रतीक हैं, जो उन्हें ऐसे घिसे पिटे डिजाइनों से अलग रूप प्रदान करते हैं, जिनसे फिलहाल बाजार भरे पड़े हैं। ‘मेरे उत्पाद अपने आधुनिक रूप और आकर्षण के कारण अलग ही नज़र आते हैं, जिन्हें ग्राहक निश्चित रूप से खरीदना चाहेंगे और पूरी तरह से पसंद करेंगे,’ उन्होंने कहा।

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