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किसानी आंदोलन के सुनहरे पन्नों पर काले अक्षरों में लिखी जाएगी बादलों की दोगली नीति- हरपाल सिंह चीमा

  • -किसान संघर्ष में 700 किसान-मजदूरों के बलिदान के लिए बराबर जिम्मेदार है भाजपा, कांग्रेस और बादल
  • -काले कानूनों के लिए मोदी, बादल, कैप्टन और कांग्रेस को कभी माफ नहीं करेगी जनता- आप

चंडीगढ़, 

आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब के वरिष्ठ एवं नेता प्रतिपक्ष हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि एतिहासिक किसान आंदोलन के सुनहरे पन्नों पर बादल परिवार की दोगली नीति को काले अक्षरों में लिखा जाएगा और देश के लोग केंद्रीय काले कृषि कानून बनाने के लिए तत्कालीन फूड प्रोसेसिंग मंत्री हरसिमरत कौर बादल द्वारा निभाई गई घातक भूमिका को कभी नहीं भूलेंगे।
पार्टी मुख्यालय से रविवार को जारी बयान में हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि किसान-मजदूरों, किसान संगठनों और विद्वानों के विरोध के बावजूद काले कृषि कानून थोपे जाने के लिए भाजपा (मोदी) के साथ-साथ बादल,  तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल समेत पूरी पंजाब कैबिनेट (जिसमें मौजूदा मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी भी शामिल हैं),  बराबर के भागीदार हैं, जिन्होंने कुर्सी के लिए अपनी बनती जिम्मेदारी ही नहीं निभाई। लेकिन किसानी संघर्ष की चढ़त, लोगों के दबाव और किसान आंदोलन की एतिहासिक जीत पर आज ये सभी अपनी पीठ थपथपाने में जुटे हुए हैं।

हरपाल सिंह चीमा ने बताया कि आम आदमी पार्टी काले कृषि कानूनों का उस समय से विरोध करती आ रही है,  जब केंद्र सरकार इनका खाका तैयार करने में जुटी थी। इसके विपरीत हरसिमरत कौर बादल ने घातक कृषि कानूनों के लिए ऑर्डिनेंस पर हस्ताक्षर करके अन्नदाता की मौत के वारंट जारी किए और फिर पूरे परिवार ने तीनों काले कानूनों के पक्ष में महीनों से अधिक समय तक प्रचार किया, ताकि मोदी मंत्रिमंडल में कुर्सी बची रहे। आखिरकार जब पंजाब के लोगों ने बादल परिवार और अकाली दल बादल के सभी छोटे-बड़े नेताओं का गांवों में प्रवेश बंद के बोर्ड लगाने शुरू किए तो खिसक चुकी सियासी जमीन को बचाने के लिए हरसिमरत कौर बादल को कुर्सी छोड़नी पड़ी।

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