- प्रदेश सरकार को मई,2017 में संशोधित केंद्रीय मोटरयान नियमों की कॉपी भेज एडवोकेट ने कार्रवाही करने को लिखा
- पांच वर्ष पूर्व मोदी सरकार ने नियमों में संशोधन कर पूर्णतया समाप्त कर दिया था वीआईपी कल्चर
- नियमानुसार ट्रांसपोर्ट विभाग को प्रदेश में बहुरंगी बत्ती प्रयोग करने हेतु अधिकृत सभी वाहनो की सूची करनी होती है सार्वजनिक – हेमंत
चंडीगढ़
हरियाणा प्रदेश में कई स्थानों विशेषकर जिला स्तर पर कार्यरत आला प्रशासनिक अधिकारी जैसे उपायुक्त (डीसी), अतिरिक्त उपायुक्त (एडीसी), उपमंडलाधीश (एसडीएम), सिटी मजिस्ट्रेट, तहसीलदार आदि, जिन पदों पर आईएएस और एचसीएस अधिकारी तैनात होते हैं, उनके द्वारा आज भी उनको आबंटित सरकारी वाहनों पर बहुरंगी बत्ती या फिर कई बार केवल नीली बत्ती का प्रयोग किया जा रहा है.
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार. जिन्होंने इस सम्बन्ध में प्रदेश सरकार को लिखा है, ने बताया कि पांच वर्ष पूर्व अप्रैल 2017 में केद्र की मोदी सरकार ने भारत में वर्षो से व्याप्त वी.आई.पी. संस्कृति को समाप्त करने के उद्देश्य से सभी प्रकार के पदाधिकारियों और सरकारी अधिकारियों के वाहनों पर लाल-बत्ती लगाने की परंपरा का पूर्णतया अंत करने का निर्णय लिया था.
यहाँ तक कि नियमानुसार एम्बुलेंस गाड़ियों/वैनो पर भी नीली बत्ती, चाहे वो फ्लेशर सहित हो अथवा फ्लेशर रहित, का प्रयोग नहीं किया जा सकता बल्कि उनके लिए विशेष तौर पर बैंगनी रंग के कांच के भीतर ब्लिंकर कर रही लाल रंग की बत्ती का प्रयोग ही किया जा सकता है हालांकि ऐसा नहीं किया जा रहा है एवं हर एम्बुलेंस पर नीली बत्ती ही नज़र आती है.
हेमंत ने बताया कि 1 मई 2017 के बाद केवल विशेष तौर पर केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित इमरजेंसी और आपातकालीन ड्यूटी सेवाओ में कार्यरत वाहनों को बहुरंगी बत्ती अर्थात लाल, नीली और सफ़ेद बत्ती का मिश्रण लगाने की अनुमति प्रदान की गयी है एवं डीसी, एडीसी, एसडीएम, सिटी मजिस्ट्रेट, तहसीलदार आदि प्रशासनिक अधिकारी उपरोक्त श्रेणी में नहीं आते बेशक उन्हें प्रदेश सरकार द्वारा सीआरपीसी (दंड प्रक्रिया संहिता ), 1973 में प्रदेश सरकार द्वारा कार्यकारी मजिस्ट्रेट (एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट ) की शक्तियां प्रदान की गयी हों. यहाँ तक कि जिला अदालतों के जज चाहे सेशंस जज और (मुख्य) जुडिशल मजिस्ट्रेट आदि भी उनके वाहनों पर किसी प्रकार की बत्ती का प्रयोग नहीं कर सकते. मौजूदा केंद्रीय मोटरयान नियम 108 में अब प्रदेश सरकार के पास कोई बहुरंगी बत्ती का प्रयोग करने हेतु सरकारी वाहनो की नई श्रेणी बनाने की कोई शक्ति नहीं है.
ज्ञात रहे कि देश का प्रथम नागरिक अर्थात भारत के राष्ट्रपति, उनके अलावा उपराष्ट्रपति, देश के प्रधानमंत्री/केंद्रीय मंत्री, सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस और जस्टिस/जज, प्रदेश के राज्यपाल, मुख्यमंत्री/ मंत्री आदि भी उनके सरकारी वाहनों पर किसी प्रकार की बत्ती का प्रयोग नहीं कर सकते हैं. दिसम्बर, 2013 ने हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने देश में केवल उच्च संवैधानिक पदों पर आसीन व्यक्तियों के वाहनों पर ही लाल-बत्ती के प्रयोग को स्वीकृति दी थी. हालांकि इसके बाद देश की सभी राज्य सरकारों ने नेताओं और अधिकारियों के दबाव में आकर ने एक रास्ता खोज निकाला था एवं तत्कालीन लागू नियम 108 के अंतर्गत प्रदान शक्तियों का प्रयोग करते हुए मनमाने ढंग से नीली और एम्बर (संतरी) बत्ती का प्रयोग कर सकने वाले नेताओं और अधिकारियों की सूची में बढोतरी करनी आरम्भ कर दी थी. अगर मोदी सरकार इस पर पूर्णतया रोक न लगाती, तो यह संख्या आज और कहीं अधिक हो गयी होती.
हेमंत ने बताया कि 1 मई, 2017 को केंद्र सरकार द्वारा जारी गजट अधिसूचना के अनुसार अब कोई भी उच्च अधिकारी एवं पदाधिकारी अपने वाहन पर लाल, नीली या एम्बर बत्ती का प्रयोग नहीं कर सकता. जहाँ तक पुलिसिंग और इमरजेंसी और आपदा प्रबंधन ड्यूटी में लगे हुए वाहनों का विषय है तो केंद्र सरकार ने उन्हें विशेष श्रेणी का मानते हुए बहु रंगी अर्थात लाल, नीली और सफ़ेद बत्ती बत्ती कर मिश्रण प्रयोग करने की अनुमति दी है. परुन्तु इस स्वीकृति का मतलब यह कदापि नही है कि यह वाहन केवल नीली बत्ती का प्रयोग भी कर सकते हैं, ऐसा करना कानूनी तौर पर पूर्णतया गलत है.
बहरहाल, बहुरंगी बत्ती प्रयोग करने की स्वीकृति अग्नि-शमन वाहनों, रक्षा बलों एवं अर्ध-सैनिक बलों के वाहनों, भूकंप, बाढ़, भूस्खलन, चक्रवाती तूफ़ान, सुनामी आदि प्राकृतिक आपदाओ के प्रबंधन में तैनात राजकीय वाहनों को भी दी गयी है हालाकि ऐसे सभी वाहन उक्त बहु रंगी बत्ती का प्रयोग हर समय नहीं अपितु मात्र तभी करेंगे जब वो उनकी निर्धारित ड्यूटी को अंजाम दे रहे हो.
हेमंत ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा 1 मई 2017 को जारी गजट नोटिफिकेशन में यह भी निर्देश है कि हर राज्य /यूटी का ट्रांसपोर्ट विभाग उसके क्षेत्र में बहुरंगी बत्ती का प्रयोग करने के लिए अधिकृत सभी पुलिस और इमरजेंसी ड्यूटी वाहनों बारे जनसाधारण को सूचित करने के लिए एक प्रतिवर्ष एक सार्वजनिक सूचना (पब्लिक नोटिस ) भी जारी करेगा और ऐसी अनुमति प्रदान किये गए वाहनों पर सम्बंधित राज्य सरकार/ यूटी प्रशासन के ट्रांसपोर्ट विभाग का सुरक्षा-मुद्रिक वाटर मार्क पेपर का होलोग्राम युक्त स्टीकर भी लगाना होगा हालांकि दुर्भाग्यवश गत पांच वर्षो से हरियाणा में ऐसा नहीं किया जा रहा है.