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नौवीं की छात्रा निकाशा लूथरा की किताब ‘द फ्लॉवर्स इन हर रूम’ का अनावरण

चंडीगढ़ : विवेक हाई स्कूल, चंडीगढ़ की नौवीं की छात्रा निकाशा लूथरा की पुस्तक ‘द फ्लॉवर्स इन हर रूम’ का आज यहां होटल माउंट व्यू में एक प्रेस वार्ता के दौरान अनावरण किया गया, जिसमें पांच लघु नाटक शामिल हैं। निकाशा ने कहा कि चार नाटक मानवीय भावनाओं और उनके संघर्षों पर आधारित हैं, जबकि एक नाटक फ्रांसीसी क्रांति के बारे में है। निकाशा के पिता दीपक लूथरा के साथ मां निशा लूथरा भी इस अवसर पर मौजूद थीं, जो द नैरेटर्स परफॉर्मिंग आर्ट्स सोसाइटी की संस्थापक हैं।

लघु नाटकों के शीर्षक हैं: ‘द एम्प्टीनेस इनसाइड द हार्ट’, ‘ट्वेल्व एपल्स’, ‘व्हेन शी ओपन्ड हर आइज’, ‘द साइलेंस ऑफ हर लिप्स’ तथा ‘लुई द सिक्सटीन्थ’। अंतिम नाटक में एक युवक के अचानक राजा बनने पर उसकी मनोदशा को दर्शाया गया है। इतिहास का यह किस्सा बच्चों के लिए किताब को दिलचस्प बनाता है। ‘लुई द सिक्सटीन्थ’ अंग्रेजी में है, जबकि अन्य चार नाटक हिंदी व अंग्रेजी मिश्रित हैं।

कहानी और नाटक लेखन में अंतर स्पष्ट करते हुए, निकाशा ने कहा कि एक नाटक में कई किरदारों को बांधना होता है। उस कथा को एक निश्चित समय में मंच पर पेश करना अपने आप में एक चुनौती है। किरदार की मनोदशा को दर्शकों के समक्ष रखते हुए नाटक लेखक एक आंतरिक संघर्ष से गुजरता है। अपनी अगली किताब के बारे में निकाशा ने कहा कि वो एक उपन्यास पर काम कर रही है जिसमें एक काल्पनिक हत्या की गुत्थी है।

निकाशा अपने अंदर के लेखक को कभी भी अपनी उम्र से बंधा नहीं पाती और अपनी भावात्मक सोच को इन नाटकों के द्वारा एक नई उड़ान देती है। कोरोना काल में जब पूरी दुनिया वीडियो कॉलिंग में व्यस्त थी, तब निकाशा अपनी कलम के माध्यम से नए किरदार गढ़ने में जुटी थी। सात वर्ष की उम्र से ही वह रंगमंच से जुड़ी रही है। एक कलाकार होने के नाते वह रंगमंच की तकनीकी बारीकियों को भलीभांति समझती है और यह सूझ-बूझ उसके नाटकों में भी साफ दिखाई देती है।

इतनी कम उम्र में ऐसे परिपक्व नाटक लिखने की प्रेरणा कहां से मिली, यह पूछे जाने पर निकाशा ने कहा कि प्रेरणा का कोई एक स्रोत नहीं है, बल्कि कई कारक हैं जिनसे उसका लेखन प्रभावित हुआ है। मां का रंगमंच से जुड़ाव है, पिता निरंतर प्रोत्साहित करते हैं और थिएटर गुरु ने मन व मस्तिष्क पर अपना गहरा प्रभाव छोड़ा है।

निकाशा का मानना है कि एक नाटक लिखते समय कई बातों को ध्यान में रखना पड़ता है, जैसे किरदारों का चयन, उनके बीच होने वाली बातचीत, कहानी का काल खंड, मंच की सेटिंग, और किरदारों का संघर्ष, इन सबको ध्यान मेँ रखते हुए ही एक नाटक की रचना हो पाती है। अपने हमउम्र साथियों के लिए निकाशा की सलाह है कि वे अपने लिए दिन में एक ऐसा समय अवश्य निकालें जिसमें पढ़ना और लिखना शामिल हो, क्योंकि यह मन व मस्तिष्क के लिए खुराक की तरह है।

पुस्तक का औपचारिक विमोचन और इसके दो नाटकों – द एम्पटीनेस इनसाइड द हार्ट तथा ट्वेल्व एपल्स का मंचन 2 सितंबर, 2022 को टैगोर थिएटर के मिनी ऑडिटोरियम में किया जाएगा। हरियाणा के मुख्य सूचना आयुक्त, विजय वर्धन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि होंगे, जबकि पूर्व आईएएस एवं मोटिवेशनल स्पीकर विवेक अत्रे, प्रख्यात रंगकर्मी नीलम मानसिंह चौधरी, आयरलैंड दूतावास नई दिल्ली में कार्यरत साइनीड गिलमार्टिन और मिशेल हनारन के अलावा शूलिनी यूनिवर्सिटी के संस्थापक एवं वाइस चांसलर अतुल खोसला विशेष अतिथि होंगे। द नैरेटर्स परफॉर्मिंग आर्ट्स सोसाइटी और चंडीगढ़ लिटरेरी सोसाइटी की इस नाट्य प्रस्तुति का निर्देशन निशा लूथरा करेंगी, जबकि सेट डिजाइनिंग सार्थक नरूला करेंगे। नाटकों में करण वायलिन पर होंगे, जबकि शिवम, दिव्जोत और राजा कहानी के महत्वपूर्ण किरदार निभाएंगे।

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