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अरविंद केजरीवाल की मुहिम ला रही रंग, केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ उद्धव ठाकरे की शिवसेना भी आई संग

  • – आज दिल्ली के लोगों को उद्धव ठाकरे की शिवसेना का साथ मिला, जनतंत्र और दिल्ली विरोधी क़ानून को मिलकर राज्यसभा में पास नहीं होने देंगे – अरविंद केजरीवाल
  • – भाजपा वाले सुप्रीम कोर्ट के जजों को गालियां देते हैं, इनका संदेश साफ है कोर्ट जो मर्जी आदेश दे, अध्यादेश लाकर पलट देंगे- अरविंद केजरीवाल
  • -हमारा लोकतंत्र गंभीर खतरे में है, देश में इलेक्टेड की जगह सेलेक्टेड लोग सरकारें चला रहे हैं- भगवंत मान
  • – पार्टियों के बीच वैचारिक मतभेद हो सकते हैं, लेकिन देश को बचाने के लिए सभी को एक होना पड़ेगा- भगवंत मान
  • – लोकतंत्र विरोधी लोगों का मुकाबला करने और संविधान को बचाने के लिए हम एक साथ आए हैं- उद्धव ठाकरे

चंडीगढ़/नई दिल्ली/महाराष्ट्र 

केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ विपक्षी दलों को साथ लाने की आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल की मुहिम रंग ला रही है। बुधवार को उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने भी दिल्ली का साथ देने का एलान कर दिया। इससे पहले, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, बिहार के सीएम नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव इस अध्यादेश का राज्यसभा में विरोध करने का एलान कर चुके हैं।

जनतंत्र में जनता के हित में कार्य करने के लिए चुनी हुई सरकार के पास शक्तियां होनी चाहिए – अरविंद केजरीवाल

‘‘आप’’ के राष्ट्रीय संयोजक एवं दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे का धन्यवाद करते हुए कहा कि सभी जानते हैं कि दिल्ली के लोगों ने अपने अधिकारों के लिए बहुत लंबी लड़ाई लड़ी। 2015 में जैसे ही दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनी, वैसे ही मोदी सरकार ने एक अधिसूचना पारित कर हमारी सारी शक्तियां छीन ली। हमारी फरवरी 2015 में सरकार बनी और मई में (तीन महीने के अंदर) मोदी सरकार ने अधिसूचना जारी कर हमारी शक्तियां हमसे छीन ली। इसके बाद दिल्ली के लोगों ने 8 साल तक सुप्रीम कोर्ट में अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ी। आठ साल की लंबी लड़ाई के बाद जिस दिन सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया, उसके मात्र 8 दिन के अंदर ही केंद्र सरकार ने अध्यादेश लाकर दोबारा हमसे हमारी सारी शक्तियां छीन ली।

केजरीवाल ने कहा कि जनतंत्र में तो चुनी हुई सरकार के पास शक्तियां होनी चाहिए, ताकि वो जनता के हित में कार्य कर सके क्योंकि जनतंत्र में चुनी हुई सरकार ही जनता के प्रति जवाबदेह होती है। मगर मोदी सरकार ने हमने सारी शक्तियां छीन ली। ये लोग साफ कह रहे हैं कि हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले को नहीं मानते हैं।

राज्यों के राजभवन भाजपा के हेड ऑफिस और राज्यपाल इनके स्टार कंपेनर बन गए हैं- भगवंत मान

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि आज लोकतंत्र गंभीर खतरे में हैं। आज जनता द्वारा चुने हुए लोग नहीं, बल्कि केंद्र सरकार द्वारा चयनित लोग जनता और सरकार को चला रहे हैं। जबकि लोकतंत्र का मतलब होता है जिन्हें जनता ने चुनकर भेजा है। मगर राज्यपाल तो केंद्र सरकार द्वारा चयनित हैं। राज्यपाल और उपराज्यपाल को जनता ने नहीं चुना है और न ही उन्होंने जनता का वोट लिया है। उन्हें तो केंद्र सरकार ने अपनी मर्जी से चयनित कर चुनी हुई सरकारों को तंग करने के लिए भेजा है। पंजाब में राज्यपाल इस बात से मुकर गए कि वे बजट सत्र में “मेरी सरकार” शब्द का इस्तेमाल नहीं करेंगे। हमें सुप्रीम कोर्ट में जाकर इसके लिए आदेश लेना पड़ा। देशभर के राजभवन आज भाजपा के मुख्यालय बन गए हैं और राज्यपाल इनके स्टार प्रचारक बन गए हैं।

मान ने कहा कि ये लोग जहां जीतकर नहीं आते वहां उपचुनाव से आ जाते हैं। उपचुनाव से भी नहीं आए तो विधायकों को खरीद लेते हैं। उन्होंने कहा कि पार्टियों के आपस में वैचारिक मतभेद हो सकते हैं, लेकिन देश बचाने के लिए हमें इकट्ठा होना पड़ेगा। अगर देश ही नहीं बचा तो पार्टियां क्या करेंगी? 2024 में अगर ये आ गए तो संविधान को बदल देंगे और चुनाव नहीं कराएंगे। ये यही कहेंगे कि 35-40 सालों के लिए सिर्फ मैं ही रहूंगा, जो देश के लोकतंत्र के लिए बहुत खतरनाक है। हम सभी को मिलकर देश को बचाना है।

-लोकतंत्र विरोधी लोगों का मुकाबला करने और संविधान को बचाने के लिए हम एक साथ आए हैं- उद्धव ठाकरे

शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि आने वाला वर्ष चुनाव का है। इस बार अगर ट्रेन छूट गई तो हमारे देश से प्रजातंत्र हमेशा के लिए गायब हो जाएगा। प्रजातंत्र को बचाने के लिए हम एक साथ आए हैं। मैं “विपक्षी एकता शब्द” का प्रयोग नहीं करूंगा, क्योंकि हम किसी के विपक्ष या विरोधी नहीं हैं। हम सभी देशप्रेमी हैं। देश से जो लोग प्रजातंत्र को हटाना चाहते हैं, ऐसे लोगों को हम लोकतंत्र विरोधी कहते हैं। आज हम देश के लोकतंत्र और संविधान को बचाने के लिए और इन लोकतंत्र विरोधी लोगों का मुकाबला करने के लिए एक साथ आए हैं। बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने दो फैसले दिए। इसमें से एक शिवसेना के बारे में और दूसरा दिल्ली के विषय में था।

उन्होंने कहा कि प्रजातंत्र में सबसे ज्यादा महत्व लोक प्रतिनिधि का होना चाहिए। दिल्ली में आम आदमी पार्टी के बारे में जो सर्वाेच्च न्यायालय ने फैसला किया है, वह प्रजातंत्र के लिए आवश्यक था। लेकिन इसके खिलाफ केंद्र सरकार जो अध्यादेश लेकर आई वो प्रजातंत्र के खिलाफ है। आम आदमी पार्टी को जनता ने चुना है, वो जनता के प्रतिनिधी हैं। इसलिए उन्हें कुछ अधिकार होने चाहिए। इस तरह से तो भविष्य में शायद ऐसे भी दिन आ जाएंगे, जब राज्यों में चुनाव ही नहीं होंगे। सिर्फ केंद्र में ही चुनाव होंगे और वो भी सिर्फ 2024 तक लोकसभा चुनाव होने की संभावना है। जनता जो फैसला करेगी, उसका परिणाम सामने दिखेगा। इसीलिए आज हम देश की जनता को नींद से जगाने के लिए साथ आए हैं।

 

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