चंडीगढ( प्रवेश फरण्ड )
पंजाब, हरियाणा, हिमाचल उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर व केद्र शासित प्रदेशों के दर्जनों सांसद चंडीगढ़ में एकत्रित हुए। इन्होंने जहां अपने-अपने इलाकों में आने वाली रेलवे संबंधी शियकतें दर्ज कराई वहीं पर कई सांसदों ने ‘बंदे भारत ट्रेन’ चंडीगढ़ से चलाने की मांग की। यह बैठक वीरवार को चंडीगढ़ के सेक्ट-17 स्थित होटल ताज में आयोजित की गई।
बैठक की अध्यक्षता करते हुए उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक आशुतोष गंगल सांसदों का स्वागत किया और उन्हें उत्तर रेलवे के क्षेत्राधिकार में चलाई जा रही विभिन्न विकासात्मक गतिविधियों और नई पहलों के संबंध में अवगत कराया। सांसदों ने ट्रेनों की स्पीड बढ़ाए जाने की साथ-साथ उनके समय में भी तबदीली करने की मांग की। पंजाब के कई सांसदों में पठानकोट में नए कोच चलाए जाने के अलावा, कालका-शिमला की भांति सुविधा देने की मांग की। इस अवसर पर वाणिज्य और उद्योग राज्यमंत्री, सोम प्रकाश, संसद सदस्यगण (लोकसभा) गुरजीत सिंह औजला, संतोख सिंह चौधरी, डॉ. अमर सिंह, डॉ. किशन कपूर, रतनलाल कटारिया, नायब सिंह, हाजी फजलूर रेहमान और जसबीर सिंह, माननीय संसद सदस्यगण (राज्यसभा), सुखदेव सिंह ढींढसा, इंदू बाला गोस्वामी और सरदार बलविंदर सिंह भुंदर ने बैठक में अपने विचार रखे।
संसद सदस्यों ने अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में गत वर्षों में उत्तर रेलवे के अंबाला और फिऱोजपुर मंडलों द्वारा किए गए कार्यों की सराहना की। उन्होंने दो वर्षों में कोरोना महामारी के दिशा-निर्देशों के अनुसार राष्ट्र की सेवा करने के लिए रेलवे को सामूहिक रूप से धन्यवाद दिया। उन्होंने अपने-अपने क्षेत्र के रेल उपयोगकर्ताओं की विभिन्न मांगों, अपेक्षाओं और आकांक्षाओं को भी सामने रखा। उन्होंने उत्तर रेलवे से आग्रह किया कि बुनियादी ढाँचे और जन सुविधाओं से जुड़ी परियोजनाओं को उच्च प्राथमिकता पर पूरा किया जाये। उन्होंने परियोजनाओं को समय से पूरा करने के लिए राज्य प्रशासन के साथ जरूरी समन्वय के लिए सहयोग का प्रस्ताव किया। आशुतोष गंगल ने माननीय संसद सदस्यों को आश्वासन दिया कि उत्तर रेलवे सांसदों द्वारा उठाये गये मामलों का जल्द से जल्द समाधान करेगा। उन्होंने आगे कहा कि उत्तर रेलवे यात्रियों और रेल उपयोगकर्ताओं की सेवा में सदैव प्रतिबद्ध रहती है ।
मीटिंग ने पहुंचे केवल 12 सांसद
एक तरफ तो सांसदों को जनता का जनप्रतिनिधि बताया जाता है, वहीं जब जनता मांग उठाने का समय आता है तो सांसद मीटिंग में ही नहीं पहुंचते। सूत्रों के अनुसार, बैठक रेलवे की ओर से ४३ सांसदों को बुलाया गया था, लेकिन सिर्फ १२ सांसद व ६ प्रतिनिधि ही पहुंच पाए। अब ऐसे में जब जनता के प्रतिनिधि मीटिंग में नहीं पहुंचते तो वे जनता की समस्या का निवारण कैसे कर पाएंगे?