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भूपेंद्र हुड्डा ने विधानसभा में मार ली बाज़ी, ठोस दलीलो से कादियान का निलंबन रद्द कराया

चंडीगढ़

हरियाणा विधानसभा के मोजूदा बजट सत्र के दौरान सोमवार की बैठक में नेता प्रतिपक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बाजी मार ली। उन्होंने अपनी ठोस दलीलो से कांग्रेस के वरिष्ठ सदस्य और पूर्व स्पीकर रघुवीर सिंह कादियान का सत्र की शेष अवधि के लिए किया गया निलंबन रद्द करवा दिया। हुड्डा ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल को बैकफुट पर खड़ा कर दिया। मनोहर लाल को मानना पड़ा कि अगर कादियान ने सदन में उनके बोलने के बाद विधि विरुद्ध धर्मांतरण विधेयक की प्रति फाड़ी है तो वे स्वयं खेद प्रकट करेंगे और निलंबन रद्द करने का प्रस्ताव रखा जायेगा।

सदन की सोमवार की बैठक में जैसे ही प्रश्नकाल समाप्त हुआ भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने रघुवीर कादियान के निलंबन का मुद्दा उठाया और कहा कि कादियान का सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबन अलोकतांत्रिक है।हुड्डा ने कहा कि कादियान को विधेयक पर बोलने का अवसर नहीं दिया गया। उन्हे विधेयक की प्रति फाड़ने के लिए उकसाया गया। कादियान को विधेयक की प्रति फाड़ने के लिए सदन की बैठकों से निलंबित किया गया लेकिन जिन्होंने उकसाया उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। उन्होने कहा कि अगर कादियान ने मुख्यमंत्री के बोलने से पहले विधेयक की प्रति फाड़ी तो वे कादियान से खेद प्रकट करवाएंगे।

स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता ने हुड्डा की इन आपत्तियों पर कहा कि कादियान का निलंबन नियमो के तहत किया गया है। गुप्ता ने हुड्डा को कहा कि स्वयं उनकी सरकार के दौरान भी ऐसे मामलो मे कार्रवाई की गई।उन्होंने हुड्डा सरकार के दौरान की गई करवाई के प्रस्ताव को पढ़कर भी सुनाया। गुप्ता ने कहा कि सदन में विधेयक की प्रति फाड़ना मर्यादा का उल्लंघन है। हुड्डा की यह दलील कामयाब हुई कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल के बोलने से उकसावा हुआ और कादियान ने विधेयक की प्रति फाड़ दी। इस पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने स्वीकार किया कि फुटेज देखकर तय कर लिया जाए कि कादियान ने उनके बोलने से पहले या बाद में विधेयक की प्रति फाड़ी है।अगर यह पाया जाता है कि उनके बोलने के बाद विधेयक की प्रति फाड़ी गई है तो निलंबन रद्द करने का प्रस्ताव पेश किया जाएगा। लेकिन ज्ञानचंद गुप्ता ने कहा कि वे इस प्रस्ताव को नही मानेंगे। विधेयक की प्रति बोलने के पहले या बाद में फाड़ी गई हर स्थिति में सदन का अपमान किया गया है। कादियान को खेद प्रकट करना होगा। वे पहले भी खेद प्रकट करने पर निलंबन रद्द करने की बात कह चुके थे। इस चर्चा के बाद सदन की कार्यवाही आधा घंटे के लिए स्थगित कर दी गई।

सदन की बैठक पुनः शुरू होने पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि यह पाया गया है कि विधेयक की प्रति उनके बोलने के बाद फाड़ी गई। कादियान का निलंबन रद्द करने का प्रस्ताव पेश किया जाए। कादियान को भी सदन में बुलाया गया। संसदीय कार्य मंत्री कंवर पाल गुर्जर ने निलंबन रद्द करने का प्रस्ताव पेश किया। प्रस्ताव पारित होते ही कादियान ने कहा कि अगर उनसे गलती हुई है तो वे खेद व्यक्त करते है। वे विधेयक पर अपनी भावना व्यक्त कर इसे प्रवर कमेटी को भेजने की मांग करना चाहते थे। सदन सर्वोपरि है। यह प्रदेश के ढाई करोड़ लोगो का सदन है।

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