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गोरी शंकर सेवादल गौशाला-45 में तुलसी विवाह का आयोजन

चंडीगढ़

गोरी शंकर सेवादल गौशाला सेक्टर 45 डी में तुलसी विवाह बड़ी धूमधाम से किया गया. मां तुलसी का विवाह भगवान शालिग्राम जी से क्या गया यह त्यौहार दिवाली के 11वें दिन पड़ने वाली एकादशी का खास महत्‍व है। इसे देवउठानी एकादशी भी कहते हैं। आज के दिन गंगा के बलुआघाट के बारादरी पर महिलाओं की अपार भीड़ होती है। इस दिन महिलाएं घाट पर नहाने के बाद विधि विधान से तुलसी की शादी शालीग्राम से करती हैं।
इस अवसर पर गौरीशंकर सेवादल के चेयरमैन सुमित शर्मा एवं प्रधान विनोद कुमार जी ने बताया किमाता तुलसी के पति जालंधर बहुत ही अत्‍याचारी थे।
– संसार के लोग इसके अत्‍याचार से बहुत त्रस्‍त थे।यहां तक कि भगवान विष्‍णु को भी जालंधर ने ललकार कर युद्ध किया था ।भगवान् विष्णु ने तुलसी से प्रसन्‍न हो कर वरदान दिया था जब तक तुम मेरी पूजा में लिप्‍त में रहोगी, तब तक तुम्‍हारे पति को कोई नहीं मार सकता।जब कभी भी जालंधर युद्ध पर जाता था तो तुलसी भगवान् विष्णु की पूजा करने लगती थी भगवान विष्‍णु को मजबूरन तुलसी के पूजा को सफल बनाना पड़ता।
– एक दिन भगवान शिव ने कहा की ऐसे होता रहा तो एक दिन जलांधर पूरे संसार पर राज करने लगेगा।
आखिर क्‍यों रखना पड़ा था भगवान विष्‍णु को जलांधर का रूप- भगवान शिव ने विष्णु जी से कहा जब जालंधर युद्ध पर जाए तो, आप उसका का रूप ले कर तुलसी के पास जाएं तो वह पूजा नहीं करेगी, उसी समय मैं उसका वध कर दूंगा।जैसे ही जलांधर युद्ध पर गया उसी समय विष्‍णु जी उसका का रूप रखकर उसके पास आए।
– तुलसी से प्रेम करने लगे और उनका पतिव्रता का व्रत तोड़ दिया।
– इससे जलांधर की शक्ति क्षीण हो गई और भगवान शिव ने उसका सिर धड़ से अलग कर दिया।
– सर धड़ से अलग होने के बाद वह तुलसी के गोद में गिर गया।
– कटे धड़ से आवाज आई तुलसी तेरे साथ छल हुआ है ये वहीं छलिया है जिसकी तू पूजा करती है।इसके बाद भगवान विष्णु अपने असली रुप में आ गये। तुलसी को गहरा आघात पहुंचा और कहा, भगवन मैं बचपन से आपको पूजती आ रही हूं आपने मेरे साथ छल किया।आपने मेरा सतीत्व भंग किया? भगवान विष्णु न तुलसी से नजरें मिला सके न कुछ बोल सके।
– तुलसी ने क्रोध में आकर भगवान विष्णु को श्राप दे दिया कि आपने मेरी भावनाओं की कद्र नहीं कि और पत्थर की तरह व्यवहार किया इसलिये आप पत्थर के हो जाओगे।
भगवान को पत्थर का होते देख पूरे संसार हाहाकार मच गया- भगवान को पत्थर का होते देख पूरी सृष्टी में हाहाकार मच गया।समस्त देवता त्राहि-त्राहि पुकारने लगे, तब माता लक्ष्मी ने तुलसी के चरण पकड़ कर प्रार्थना की। तब तुलसी ने जगत कल्याण के लिये अपना श्राप वापस ले लिया और खुद जलांधर के साथ सती हो गई। खुद के एक रुप को पत्थर में समाहित करते हुए विष्‍णु जी कहा कि आज से तुलसी के बिना मैं प्रसाद स्वीकार नहीं करुंगा।- इस पत्थर को शालिग्राम के नाम से तुलसी जी के साथ ही पूजा जायेगा।- कार्तिक महीने में तो तुलसी जी का शालिग्राम के साथ विवाह भी किया जाता है।
– देवउठनी एकादशी के दिन को तुलसी विवाह के रुप में भारतवर्ष में मनाया भी जाता है।तुलसी की तरह बनने का लूंगी संकल्‍प: जिस तरह मां तुलसी अपने पति के प्रति‍ समर्पित थी और भगवान् के कहने पर कि मैं आपसे शादी करूंगा और मां तुलशी ने मना कर दिया।- उसी प्रकार आज एकादशी इस पर्व पर हमलोग यहा स्नान कर अपने पति की लंबी उम्र की कामना कर मां तुलसी की तरह बनने का लूंगी संकल्‍प।संसार की रक्षा के लिए – जब कभी भी संसार में आपदा आती है तो किसी किसी रूप भगवान् आते है संसार की रक्षा करते हैं।
– वही भगवान् ने उस समय भी किया था स्वर्ग की रक्षा के लिए ये छल किया था। तुलसी के त्‍याग और पति के प्रति उसका कर्तव्‍य संसार के लिए एक मिशाल है।

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