सोहाना अस्पताल मोहाली ने बाइपास सर्जरी में नया मुकाम हासिल किया
- फास्ट ट्रेक बाइपास सर्जरी के साथ मरीज को दी नई जिंदगी
मोहाली,
स्थानीय सोहाना अस्पताल ने बाइपास सर्जरी के मामले में फास्टट्रेक तकनीक से एक नया मुकाम हासिल किया है, जिसकी बदौलत सर्जरी के महज चार दिन बाद ही मरीज चलने फिरने के योगय हो जाता है। इसकी जानकारी आज यहां अस्पताल के दिल के रोग के प्रमुख डाक्टर मनमोहन सिंह चौहान ने दी। उन्होंने बताया कि आधुनिक तकनीक, उच्च क्वालिटी की दवाईयां तथा स्टाफ द्वारा की जाती बेहतर देखभाल की बदौलत मरीज को बड़ी राहत मिली है।
उन्होंने बताया कि यह तकनीक भविष्य में दिल के मरीजों के लिए एक लाजवाब तोहफा साबित होगी। जिसकी बदौलत मरीज यहां गंभीर बीमारी की तकलीफों से राहत हासिल करेगा, वहीं कम खर्चे तथा समय में वह तंदरूस्ती भी हासिल करेगा। डाक्टर चौहान ने बताया कि यह फास्ट ट्रेक तकनीक से मरीज आप्रेशन के कुछ देर बाद ही जूस आदि पीने के योगय होने के साथ-साथ डाक्टर द्वारा सुझाए गए खान-पान वाले पदार्थ भी खा सकता है।
उन्होंने एक मरीज केसर कौर (73) का जिक्र करते हुए बताया कि उक्त महिला पिछले 15 सालों से किडनी, शुगर जैसे अनेकों गंभीर बीमारियों से पीडि़त थी। उन्होंने बताया कि गत दिनों छाती में दर्द होने की शिकायत के बाद केसर कौर को अस्पताल में भर्ती करवाया गया था, जिसकी एंजियोग्राफी सहित अन्य टेस्ट आदि करने के बाद उसकी 8 जुलाई को बाइपास सर्जरी की गई। उन्होंने बताया कि इस नई तकनीक की बदौलत ही केसर कौर के तंदरूस्त हो जाने के कारण उसको 12 जुलाई को छुट्टी दे दी गई।
अस्पताल के कार्डियक एनसथिसिया प्रमुख डाक्टर अजय अत्री ने बताया कि इस नई तकनीक की बदौलत मरीज जल्द चलने फिरने योगय हो जाता है। यहां तक कि उसको सीढिय़ां चढऩे तक की सलाह भी दी जाती है। उन्होंने बताया कि डाक्टरों द्वारा मरीज की जांच करने के बाद आप्रेशन के पांचवे दिन ही मरीज को नहाने की सलाह दी जाती है। उन्होंने बताया कि अस्पताल के इस नए अनुभव ने दिल के मरीजों के लिए नई उम्मीद जगाई है।
उन्होंने बताया कि यह तकनीक भविष्य में दिल के मरीजों के लिए एक लाजवाब तोहफा साबित होगी। जिसकी बदौलत मरीज यहां गंभीर बीमारी की तकलीफों से राहत हासिल करेगा, वहीं कम खर्चे तथा समय में वह तंदरूस्ती भी हासिल करेगा। डाक्टर चौहान ने बताया कि यह फास्ट ट्रेक तकनीक से मरीज आप्रेशन के कुछ देर बाद ही जूस आदि पीने के योगय होने के साथ-साथ डाक्टर द्वारा सुझाए गए खान-पान वाले पदार्थ भी खा सकता है।
उन्होंने एक मरीज केसर कौर (73) का जिक्र करते हुए बताया कि उक्त महिला पिछले 15 सालों से किडनी, शुगर जैसे अनेकों गंभीर बीमारियों से पीडि़त थी। उन्होंने बताया कि गत दिनों छाती में दर्द होने की शिकायत के बाद केसर कौर को अस्पताल में भर्ती करवाया गया था, जिसकी एंजियोग्राफी सहित अन्य टेस्ट आदि करने के बाद उसकी 8 जुलाई को बाइपास सर्जरी की गई। उन्होंने बताया कि इस नई तकनीक की बदौलत ही केसर कौर के तंदरूस्त हो जाने के कारण उसको 12 जुलाई को छुट्टी दे दी गई।
अस्पताल के कार्डियक एनसथिसिया प्रमुख डाक्टर अजय अत्री ने बताया कि इस नई तकनीक की बदौलत मरीज जल्द चलने फिरने योगय हो जाता है। यहां तक कि उसको सीढिय़ां चढऩे तक की सलाह भी दी जाती है। उन्होंने बताया कि डाक्टरों द्वारा मरीज की जांच करने के बाद आप्रेशन के पांचवे दिन ही मरीज को नहाने की सलाह दी जाती है। उन्होंने बताया कि अस्पताल के इस नए अनुभव ने दिल के मरीजों के लिए नई उम्मीद जगाई है।