चण्डीगढ़
हरियाणा के राज्यपाल बंडारु दत्तात्रेय ने कहा कि संत शिरोमणि गुरु रविदास के विचारों, व्यवहार व शिक्षाओं से युगों-युगों तक समाज का मार्गदर्शन होता रहेगा। उनके महान व्यंिक्तव से लोगों के जीवन में सामाजिक समसरता, समानता और बंधुत्व की राह अग्रसर होगी और आज समाज को गुरु रविदास के दिखाए मार्ग पर चलकर धार्मिक भेदभाव, छुआछात जैसी कुरीतियों को समाप्त करने का संकल्प लेना चाहिए।
राज्यपाल बंडारु दत्तात्रेय शनिवार को आजादी के अमृत महोत्सव को लेकर श्री गुरु रविदास मंदिर एवं धर्मशाला कुरुक्षेत्र में श्री गुरु रविदास विश्व महापीठ द्वारा आयोजित राष्ट्रीय अधिवेशन व राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति की बैठक में बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे।
राज्यपाल श्री दत्तात्रेय ने महापीठ को 10 लाख और हिमाचल के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने 5 लाख रुपए की राशि अपने स्वैच्छिक फंड से देने की घोषणा की है। इस दौरान उन्होंने मथाना के सामाजिक समरसता भवन का उद्घाटन भी किया।
राज्यपाल बंडारु दत्तात्रेय ने कहा कि सन्त शिरोमणी गुरू रविदास जी क्षमाशील, विवेकी और समाज के सच्चे गुरू थे। वे उन महान आत्माओं में से एक थे जिनके विचारों, व्यवहार, गुणों और शिक्षाओं से लोगों को मार्गदर्शन मिलता रहेगा। गुरू रविदास जी ने अपने जीवन में जाति-आधारित भेदभाव और छुआछूत जैसी सामाजिक कुरीतियों से समाज को छुटकारा दिलाने के लिए भक्ति मार्ग को अपनाया। उन्होंने समानता, न्याय और बंधुत्व के मूल्यों का उपदेश देकर मानवता को जीवन की सच्ची राह दिखाई।
राज्यपाल ने कहा कि उनकी करनी और कथनी में कोई अंतर नहीं था। वे जो जनता को उपदेश देते थे उसे अपने जीवन में स्वंय भी अपनाते थे। उन्होंने मानवता के उत्थान के लिए संघर्ष करते हुए समाज में कोई भी व्यक्ति भूखा न सोए और सभी में समता का भाव पैदा करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि मानवता में भय और भूख का कोई स्थान नहीं होना चाहिए। श्री मद्भगवत गीता के कर्म के सिद्धांत को अपने जीवन में अपनाते हुए उन्होंने अपने अनुयायियों को सदैव शुभकर्म करने का संदेश दिया।
हिमाचल के राज्यपाल राजेंद्र अरलेकर ने कहा कि संत गुरु रविदास, संत कबीर दास, श्री गुरु नानक देव जी के पदचिन्हों पर चलकर महात्मा गांधी ने भी अस्पृश्यता, असमानता के खिलाफ जोरदार लड़ाई लड़ी। भारतीय संविधान के जनक बाबा साहेब डा. बी.आर अंबेडकर संत गुरु रविदास और संत कबीर दास के विचारों से बहुत प्रभावित थे। उन्होंने सामाजिक सद्भाव, मानवाधिकार के लिए जो किया वह भारतीय सविंधान में रूप में हम सब के सामने है। गुरू रविदास जी महाराज की शिक्षाओं से प्रेरणा पाकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक समतामूलक व समावेशी शिक्षा नीति लागू की। इन योजनाओं से समाज के गरीबों, वंचितों, महिलाओं और पिछडों के जीवन में सुधार हुआ है।
इस अवसर पर राज्यपाल बंडारु दत्तात्रेय सहित हिमाचल के राज्यपाल राजेंद्र आर्लेकर, महापीठ के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं सांसद दुष्यंत कुमार गौतम, महापीठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री सुरेश राठौर, केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री ए.नारायाण स्वामी, हरियाणा के सहकारिता मंत्री डा. बनवारी लाल, बिहार के खनन मंत्री जनकराम, हिमाचल से सांसद डा. सिकंदर कुमार, पूर्व सांसद आत्मा राम परमार, थानेसर विधायक सुभाष सुधा, महापीठ के राष्ट्रीय महामंत्री सूरजभान कटारिया, महामंत्री सूरज कुमार ने संत शिरोमणि गुरु रविदास मंदिर में पूजा अर्चना की दीपशिखा प्रज्ज्वलित करके विधिवत रुप से आजादी के अमृत महोत्सव को लेकर 2 दिवसीय 5वें राष्ट्रीय अधिवेशन का शुभारंभ किया।