चंडीगढ़,
पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, चंडीगढ़ के डिपार्टमेंट ऑफ कम्युनिटी मेडिसन और स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ (डीसीएम और एसपीएच) द्वारा तैयार ‘फ्रंट ऑफ पैकेज लेबलिंग: ए गेम चेंजर फॉर हेल्दी इंडिया’ नामक एक डॉक्युमेंट्री को आज यहां प्रेस क्लब में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जारी किया गया है। ये डॉक्युमेंट्री पंजाब सरकार और स्ट्रेटेजिक इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ एजुकेशन एंड रिसर्च (एसआईपीएचईआर) के सहयोग से संस्थान द्वारा चलाई जा रही एक परियोजना का एक हिस्सा है। इस परियोजना को ग्लोबल हेल्थ एडवोकेसी इनक्यूबेटर, यूएसए से भी समर्थन प्राप्त है।
दिवाली जैसे त्योहारों के मौके पर जारी की गई डॉक्युमेंट्री का उद्देश्य नीति निर्माताओं, कार्यान्वयनकर्ताओं और आम जनता के बीच स्वस्थ और पौष्टिक भोजन के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करना है ताकि उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) जैसे गैर-संक्रामक रोगों (एनसीडी) को दूर रखा जा सके और भारत सरकार द्वारा विकसित की जाने वाली एक गहन फ्रंट-ऑफ-पैक लेबलिंग (एफओपीएल) नीति के लिए समर्थन जुटाया जा सके।
इस मौके पर डॉ.सोनू गोयल ने कहा कि “पंजाब में उच्च रक्तचाप के मामलों में लगातार तेजी से वृद्धि देखी जा रही है, जो चिंताजनक है। परियोजना के माध्यम से, हम भोजन में ट्रांस फैट्स जैसे जोखिम कारकों के बारे में मीडिया और आम जनता को जागरूक करते हुए उच्च रक्तचाप को रोकने और बेहतर प्रबंधन के लिए पंजाब सरकार के साथ सहयोग कर रहे हैं। हम दृढ़ता से महसूस करते हैं कि खाद्य पदार्थों पर चेतावनी लेबल लोगों को पौष्टिक खाद्य विकल्प बनाने में मदद करने का प्रभावी तरीका है। डॉक्यूमेंट्री भारत में कार्डियोवैस्कुलर हेल्थ, मोटापा और मधुमेह संकट को टालने के लिए फ्रंट ऑफ पैकेज लेबलिंग (एफओपीएल) के महत्व को बताती है।”
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, गैर-संक्रामक रोग (एनसीडी) वैश्विक मौतों में 70 प्रतिशत तक योगदान देते हैं। इस साइलेंट किलर से पीड़ित तीन में से एक व्यक्ति के साथ पंजाब राज्य उच्च रक्तचाप की राजधानी बन गया है। केक, पिज्जा, पेस्ट्री, फ्रेंच फ्राइज़, आइसक्रीम आदि जैसे पैकेज्ड खाद्य पदार्थों में उपलब्ध वसा, चीनी और नमक का अत्यधिक सेवन एनसीडी का प्राथमिक कारण है। साल 2019 में शुरू हुई इस परियोजना के तहत, पीजीआईएमईआर चंडीगढ़ ने पंजाब में ट्रांस फैट निगरानी को लागू करने और विनियमित करने के लिए फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन, पंजाब के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
डॉक्यूमेंट्री में हमारे खानपान में पारंपरिक से आधुनिक की तरफ आए बदलाव, स्वस्थ भोजन विकल्प बनाने के तरीके, अच्छे और बुरे भोजन की पहचान, खराब भोजन से जुड़ी बीमारियों जैसी प्रमुख विशेषताओं आदि पर प्रकाश डाला गया है।
लगभग 7 मिनट की इस डॉक्यूमेंट्री को तैयार करने में लगभग दो महीने का समय लगा, जो परियोजना टीम का एक सहयोगात्मक प्रयास है। डॉ. सोनू गोयल, प्रोफेसर, डिपार्टमेंट ऑफ कम्युनिटी मेडिसन और स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ, पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़ और परियोजना के प्रिंसिपल इनवेस्टीगेटर ने डॉक्यूमेंट्री की अवधारणा और संदेश को विस्तार से बताया है।
पीजीआईएमईआर की सार्वजनिक स्वास्थ्य पहल की सराहना करते हुए, श्री मनोज खोसला, संयुक्त आयुक्त, एफडीए, पंजाब ने खाद्य सुरक्षा के संदर्भ में एफडीए की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला और मीडियाकर्मियों को पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़ के साथ हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इसके साथ ही, डॉ. रवनीत कौर, निदेशक, फूड सेफ्टी लैब, पंजाब ने कहा कि ट्रांस फैट सर्विलांस देश में एफओपीएल की पक्षधारिता को मजबूत करेगा।
डॉ. गीता मेहरा, प्रमुख, डिपार्टमेंट ऑफ फूड साइंसिज, एमसीएम डीएवी कॉलेज, चंडीगढ़ ने किसी भी पैकेज्ड खाद्य उत्पाद को खरीदते समय फूड लेबल पढ़ने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने जोर देकर कहा कि “एफओपीएल, यदि भारत में लागू किया जाता है, तो उपभोक्ताओं को अतिरिक्त शुगर, ट्रांस-फैट्स, तेल और सोडियम वाले उत्पादों की पहचान आसानी से, जल्दी और सही ढंग से करने और उन्हें सूचित भोजन विकल्प बनाने में मदद मिलेगी”।