- कर्मचारियों ने सरकार और अधिकारियों की अवज्ञा और चुप्पी के लगाए गंभीर आरोप
- विभाग में भ्रष्टाचार चरम पर, परिवहन विभाग को बचाने के प्रति गंभीर नहीं सरकार: रेशम सिंह गिल
- तीन दिन की हड़ताल सहित सीएम आवास के सामने धरने की तैयारी पूरी: शमशेर सिंह ढिल्लों
चंडीगढ़
पंजाब रोडवेज पनबस/पीआर टी सी कांट्रैकचुअल यूनियन पंजाब ने प्रेस कांफ्रेंस कर सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए सरकारी परिवहन विभाग और उसके रोजगार पर चिंता व्यक्त की। प्रदेश अध्यक्ष रेशम सिंह गिल, महासचिव शमशेर सिंह ढिल्लों, हरकेश कुमार विक्की उपाध्यक्ष, बलजीत सिंह रंधावा उपाध्यक्ष, बलजिंदर सिंह बराड़ कैशियर ने बताया कि पिछले महीने 01 मई को पंजाब सरकार को अपनी मांगों के संबंध में मांग पत्र भेजने के साथ कई कार्यक्रम किये गए थे। उन कार्यक्रमों में एक मीटिंग ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर के साथ हुईं थी। जिसमे यूनियन ने अपनी मांगों को लेकर ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर से चर्चा की। लेकिन अधिकारियों की तरफ से उनकी मांगों को टालमटोल के नजरिये से देखा गया। परन्तु यूनियन द्वारा मुख्यमंत्री की मीटिंग की मांग पर अधिकारियों और मांग पत्र लेते समय विधायकों ने मीटिंग का आश्वासन दिया था। परन्तु अभी तक कोई मीटिंग नही करवाई गई, जिस कारण यूनियन अपने दिए गए नोटिसों के अनुसार प्रोग्राम करने के लिए मजबूर है। यूनियन के नेताओं ने कहा कि सरकार उनकी जायज मांगों की तरफ कोई ध्यान नही दे रही और न ही कोई समाधान निकाला गया है। जिसको देखते हुए पंजाब रोडवेज पनबस/पीआरटीसी कांट्रैटचुअल कर्मचारी यूनियन पंजाब की ओर से 9 जून को पंजाब के मुख्यमंत्री आवास के सामने गेट रैली कर राज्य स्तरीय विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। 6 और 8-9-10 जून को पनबस और पीआरटीसी को पूरी तरह से बंद कर दिया जाएगा।जिसकी जिम्मेदारी पंजाब सरकार की होंगी। इस अवसर पर यूनियन के पदाधिकारियों के अलावा तरनतारन से सतनाम सिंह, होशियारपुर से रामिंदर सिंह, रोपड़ से कुलवंत सिंह, मुक्तसर साहिब से जगसीर सिंह, फरीदकोट से हरजिंदर सिंह, पट्टी से गुरबिंदर सिंह गिल, चंडीगढ़ से मनवीर सिंह, फिरोजपुर डिपो से बलदेव सिंह, फाजिल्का से मनप्रीत सिंह और अन्य नेता मौजूद थे।
संयुक्त सचिव जालोर सिंह गिल और जगतार सिंह ने कहा कि आप सरकार के सत्ता में आने से पहले कच्चे कर्मचारियों को सुरक्षित करने, सरकारी परिवहन चलाने की बात की जाती थी। लेकिन सरकार द्वारा किए गए वादे भी अब कर्मचारियों को झूठे लगते हैं, क्योंकि परिवहन विभाग जो कच्चे कर्मचारी हैं, जो कर्मचारी महामारी, युद्ध, बाढ़ की स्थिति या यहां तक कि हर महीने तनख्वाह पाने वालों को मुफ्त यात्रा की सुविधा प्रदान करने के लिए ड्यूटी पर हैं। उन्हें पक्का करना तो दूर, अब उन्हें अपनी तनख्वाह पाने के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है। बसों में आये दिन डीजल खत्म हुआ रहता है। डिपो में यात्रियों को टिकट जारी करने के लिए टिकट रोल तक मौजूद नहीं हैं । यह साबित करता है कि सरकार की सरकारी बसों के संचालन की कोई नीति नहीं है और बैंकों से ऋण प्राप्त करने के लिए कोई बजट व्यवस्था नहीं की जा रही है। बैंकों से लोन लेकर चलाई जा रही बसों की किस्त आने वाले दिनों में सरकारी परिवहन विभाग को और भी मुश्किलों में डाल देगी।
उपाध्यक्ष गुरप्रीत सिंह पन्नू, कुलवंत सिंह, सहायक खजांची सोहन लाल ने कहा कि विभाग को मुनाफे में लाने के लिए अफसरशाही कोई ठोस कदम नही उठाया जा रहा। ठेकेदार के कारण पनबस और पी आर टी सी को जी एस टी और कमीशन की करीब 20 करोड़ रुपए की लूट हो रही है।
ठेकेदार को बाहर निकाल कर विभाग की बचत की जा सकती है। लेकिन अधिकारी इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं। पी आर टी सी में प्राइवेट मालिकों की बसों को किलोमीटर स्कीम के तहत डाल कर पांच साल में करीब60 लाख रुपए दिए रहे हैं।जबकि नई बस की कीमत 26-27 लाख रुपए है। किलोमीटर बसें करप्शन की जड़ है और इससे बड़े स्तर पर विभाग में लूट करवाई जा रही है।
साथ ही पनबस और पीआरटीसी में नई शुरू की गई बसों की बॉडी में बड़ी कमियां हैं। जिनकी सूचना संघ द्वारा समय-समय पर दी जाती थी और बस की बॉडी बुरी हालत और मटेरियल सही नही पाया गया । जिस कारण बसों की खरीद और बॉडी में धांधली होने की आशंका है।
शव दोषपूर्ण पाए जाते थे, सामग्री सही नहीं पाई जाती थी जिसके कारण बड़े पैमाने पर खरीद होती थी। ऐसी आशंका है कि दूसरी ओर विभाग भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहा है और ठेकेदार दाता सुरक्षा समूह के समझौते को समाप्त करने के बावजूद, कांग्रेस सरकार ने उस कंपनी और पीआरटीसी से नए कर्मचारियों की भर्ती की थी जिसमें ठेकेदार के कर्मचारी ले रहे थे। रुपये की रिश्वत वीडियो भी संघ द्वारा अधिकारियों को लीक किया गया था लेकिन राज्य परिवहन के तत्कालीन निदेशक को 32 लाख रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा गया था। संघ ने निलंबित कर्मचारियों की तत्काल बहाली की भी मांग की। उन पर थोपी गई झूठी रिपोर्ट और शर्तें। लाखों रुपये जुर्माना जमा करना होगा। साथ ही सरकारी बसों के धीमी गति से चलने और बसों में चालक-कंडक्टर यात्रियों के साथ बसों में चढ़ने को लेकर आए दिन होने वाले झगड़ों से भी जनता की नाराजगी को कम किया जा सकता है।
नेताओं ने कहा कि सरकार और अधिकारी वीटीएस, अवैध रूप से चल रही बसों और टाइम टेबल, नई समय सारिणी में क्लब परमिट, 24 किलोमीटर या उससे अधिक के विस्तार और परमिट और अवैध रूप से चल रही बसों सहित अन्य मुद्दों पर चुप हैं। माननीय उच्च न्यायालय द्वारा समय सारिणी से निकाले जाने की धज्जियां उड़ाई जा रही है और रोडवेज पनबस और पीआरटीसी के समय में कटौती की जा रही है और निजी बसों को समय सारिणी में आकर्षक रूट पर लगाया जा रहा है।पंजाब विभाग को सूचित करने के बावजूद भ्रष्टाचार रुकने का नाम नहीं ले रहा है।
संघ ने मांग की कि उनकी मांगें जैसे अकुशल श्रमिकों को बनाए रखना, समान कार्य के लिए समान वेतन, सेवानिवृत्त कर्मचारियों की बहाली, एडवांस बुकर, बहाल कर्मचारियों के वेतन वृद्धि, वर्कशॉप के कर्मचारियों के लिए सरकारी अवकाश, टिकटिंग, समय सारिणी की देखभाल, पनबस और पीआरटीसी के पक्ष में रोडवेज, कच्चे कर्मचारियों के लिए सेवा नियम बनाने और पदोन्नति के लिए कम से कम 10,000 सरकारी बसों जैसी मांगों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। इसलिए यूनियन ने हड़ताल पर जाने का आह्वान किया है।