यूपीएससी में शांतनु हर्षवर्धन ने 636वीं रैंक की हासिल

By khabreinonline Jun 3, 2022
  • बैंक में बतौर पीओ की नौकरी कर क्रैक किया यूपीएससी एग्जाम
  • मनोयोग, एकाग्रता और ईमानदारी से आगे बढ़ने का दिया मंत्र

 


ग्रेटर नोएडा

संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) में शांतनु हर्षवर्धन ने 636वीं रैंक हासिल की है। पंजाब नेशनल बैंक में बतौर पीओ की नौकरी करने वाले शांतनु का लक्ष्य यूपीएससी क्रैक करने का था। इस पर वह लगातार मेहनत की। उनके चयन से परिवार में खुशी का माहौल है। शांतनु के चयन के बाद बधाई देने वालों का तांता लगा है।

शांतनु हर्षवर्धन के पिता रामलाल रेलवे में पर्सनल चीज मटेरियल मैनेजर के पद से सेवानिवृत्त हैं। वह मूल रूप से हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले के चंद्रभानपुर के रहने वाले हैं। वर्तमान में गुरुग्राम में रहते हैं। शांतनु हर्षवर्धन शुरू से पढ़ाई में अव्वल रहे हैं। शांतनु ने इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स से बीटेक किया। इसके बाद पॉलीटिकल साइंस एंड इंटरनेशनल रिलेशनशिप में दिल्ली विश्वविद्यालय से पोस्ट ग्रेजुएट किया। प्रतिभा के धनी शांतनु का कई सरकारी पदों पर चयन हुआ लेकिन उन्होंने ज्वाइन नहीं किया। सबसे पहले वह दिल्ली पुलिस में सब इंस्पेक्टर पद के लिए चयनित हुए। इसके बाद सीआरपीएफ में असिस्टेंट कमांडेंट के पद पर चयन हुआ। ऐसी नौकरी में यूपीएससी की तैयारी का समय नहीं मिलता। इसलिए उन्होंने यह नौकरी नहीं की। 2018 में उनका चयन पंजाब नेशनल बैंक में बतौर पीओ के पद पर हुआ और वह तब से सेवारत हैं। नौकरी के साथ उन्होंने यूपीएससी पर ध्यान रखा और उस पर नियमित पढ़ाई की। उनकी मेहनत इस बार रंग लाई और उन्होंने यूपीएससी की 636 वीं रैंक हासिल की है। उनके चयन से परिवार में खुशी का माहौल है।
शांतनु हर्षवर्धन के पिता रामलाल ने बताया कि शांतनु ने अपने लक्ष्य की ओर हमेशा काम किया। नौकरी के साथ साथ पढ़ाई पर पूरा ध्यान दिया। उसकी मेहनत आज हम सबके सामने है। यह बहुत ही खुशी की बात है। हर्षवर्धन की मां गृहणी हैं। उन्होंने शांतनु का पूरा ध्यान रखा। हमेशा पढ़ाई की ओर प्रेरित किया। शांतनु ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता गुरुजनों को दिया है। उन्होंने कहा कि यूपीएससी की तैयारी में आप कितने घंटे पढ़ते हैं, यह मायने नहीं रखता। बल्कि आप किस मनोयोग से पढ़ते हैं, यह आपकी दिशा तय करता है। उन्होंने यूपीएससी की तैयारी करने वालों से मनोयोग, एकाग्रता और ईमानदारी से आगे बढ़ने का मंत्र दिया है।

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